"आखिर सत्ताधारी दल को ही सबसे ज़्यादा चंदा क्यों मिलता है?"

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"आखिर सत्ताधारी दल को ही सबसे ज़्यादा चंदा क्यों मिलता है?"

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सभी चंदा EC को दीजिए,' CJI चंद्रचूड़ ने यह क्यों कहा

पब्लिक न्यूज़ डेस्क    

चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है और बुधवार को केंद्र सरकार ने अपनी दलीलें रखीं. सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं ने यह दलील दी कि चुनावी बॉण्ड योजना से सत्ताधारी दल को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है ।   इस पर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि सत्तारूढ़ दल को अधिक योगदान मिलना एक परिपाटी है।  वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर सत्ताधारी पार्टी को ही सबसे अधिक चंदा क्यों मिलता है।  इस पर सरकार की ओर से पेश हुए एसजी यानी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं कोई अनुमान नहीं लगा पाऊंगा लेकिन आंकड़े कहते हैं कि जो भी सत्तारूढ़ दल था, उसे संभवत: अधिक चंदा प्राप्त हुआ है ।   ये मेरा जवाब है, सरकार का नहीं ।  

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भारत सहित लगभग हर देश चुनावों में काले धन के इस्तेमाल की समस्या से जूझ रहा है और चुनावी बॉण्ड योजना मतदान प्रक्रिया में ‘अवैध धन’ के खतरे को खत्म करने का एक ‘विवेकपूर्ण प्रयास’ है।   प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत इस विशेष योजना को काले धन की समस्या से निपटने की दिशा में एक एकल प्रयास के रूप में नहीं ले सकती है।  

एसजी तुषार मेहता ने डिजिटल भुगतान और वर्ष 2018 और 2021 के बीच 2.38 लाख ‘शेल कंपनियों’ के खिलाफ कार्रवाई सहित काला धन से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों पर प्रकाश डाला।  न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष मेहता ने कहा, ‘आम तौर पर चुनावों और राजनीति में और विशेषकर चुनावों में काले धन का इस्तेमाल होता है… हर देश इस समस्या से जूझ रहा है।  मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर प्रत्येक देश द्वारा देश-विशिष्ट मुद्दों से निपटा जा रहा है।  भारत भी इस समस्या से जूझ रहा है।  ’ पीठ राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के लिए चुनावी बॉण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही है।  

सरकार की ओर से पेश तुषार मेहता ने अदालत में दायर अपनी लिखित दलील में कहा, ‘देश की चुनावी प्रक्रिया को चलाने में बेहिसाब नकदी (काला धन) का इस्तेमाल देश के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। ’ डिजिटलीकरण की भूमिका का उल्लेख करते हुए मेहता ने कहा कि भारत में लगभग 75 करोड़ मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और हर तीन सेकंड में एक नया इंटरनेट उपयोगकर्ता जुड़ रहा है।  उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान की मात्रा अमेरिका और यूरोप की तुलना में लगभग सात गुना और चीन की तुलना में तीन गुना है।  मेहता ने कहा कि कई तरीकों को आजमाने के बावजूद प्रणालीगत विफलताओं के कारण काले धन के खतरे से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा जा सका है, इसलिए वर्तमान योजना बैंकिंग प्रणाली और चुनाव में सफेद धन को सुनिश्चित करने का एक विवेकपूर्ण और श्रमसाध्य प्रयास है।