जानें, सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ को क्‍यों भगवान मानता है गोरखपुर का यह गांव

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जानें, सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ को क्‍यों भगवान मानता है गोरखपुर का यह गांव

जानें, सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ को क्‍यों भगवान मानता है गोरखपुर का यह गांव


पब्लिक न्यूज डेस्क। हमने भगवान को तो नहीं देखा लेकिन दावे के साथ कह सकते हैं कि वह हमारे योगी बाबा जैसे ही होंगे। जैसे भगवान भक्तों पर ख्याल रखते हैं, बाबा ने वैसे हमारा ख्याल रखा। उनकी कृपा से ही आज हमारे घर रोशन हैैं। श्रद्धा के इसी भाव के साथ वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नंबर तीन के वनटांगिए दीपावली पर दीया जलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इंतजार कर रहे हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक उतावले हैं बाबा संग दीपावली मनाने को। बड़े-बूढ़ाें को बाबा के दर्शन के इंतजार है तो बच्चों को उपहार का। ऐसा हो भी क्यों न, दीपावली के दिन दीया जलाने लायक उन्हें बनाने वाले आखिर योगी ही तो हैं।

सीएम बनने के बाद भी कायम रखी परंपरा

पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से योगी आदित्यनाथ की दीपावली की शुरुआत इसी वनटांगियों की इसी बस्ती से होती है। सांसद रहने के दौरान तो योगी ऐसा करते ही रहे, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी परंपरा को कायम रखा है। लगातार पांचवें वर्ष योगी बतौर मुख्यमंत्री गुरुवार को दीपावली मनाने वनटांगियों के गांव आ रहे हैं। इसे लेकर गांव में प्रशासनिक तैयारी तो जोरशोर से चल रही है। गांव के लोग भी अपने नाथ के स्वागत की तैयारी में जुटे हैं। कोई अपना घर रंगवा रहा है तो साफ-सफाई में जुटा है। सबकी तैयारी का एक ही मकसद है, उन्हें खुश करना, जिसकी बदौलत आज समाज की मुख्य धारा में आ चुके हैं। आज वह घर और खेत के मालिक हैैं। सरकार की हर योजना उन तक पहुंच रही है। वह वोटर भी हैं और राशनकार्ड धारक भी।

चार साल में योगी ने पूरी कर दी सारी कसक

जंगल में वनटांगियों का करीब सवा सौ साल से उपेक्षित और प्रताड़ित जीवन जीने का सिलसिला थमना तब शुरू हुआ, जब उनको 1998 में बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ का साथ मिला। वनटांगिए नक्सलियों का रास्ता न अपना लें, इससे उन्हें बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का कार्य शुरू किया। गांव में स्कूल खोला और मोबाइल मेडिकल सेवा शुरू की। स्कूल खोलने के लिए उन्हें वन विभाग का मुकदमा भी झेलना पड़ा।

बाबा के बिना तिउहार क का मतलब

70 साल के बुजुर्ग लालचंद का कहना है कि आज हमहन के अदमी खानी जीयत हैं तो ऊ बाबा का देन बा। कुल ता बा अब। बिजुली, पानी, पक्का घर। अउर का चाही। बाबा हमहन खातिर भगवान हवें। उनके बिना तिउहार का का मतलब।

होश संभालने से ही मना रहे मुख्यमंत्री संग दीपावली

युवा दीपू बताते हैं कि होश संभालने के साथ ही वह मुख्यमंत्री के साथ दीपावली मना रहे हैं। जब वह मुख्यमंत्री बने तो लगा कि अब नहीं आएंगे लेकिन उसके बाद भी वह दीपावली में आते हैं, यह हम लोगों के लिए सौभाग्य की बात है।

कच्ची ईंट तक नहीं रख पाते थे, आज मकान है

गांव सिंधु का कहना है कि उन्होंने वह दौर भी देखा है कि जब अगर एक कच्ची ईंट भी रख दी जाती थी तो वन विभाग के अफसर उन्हें बंद कर देते थे। आज उनका पक्का मकान बन गया है। यह सब योगी बाबा की कृपा से ही हो सका है।

हम तो पूजा करते हैं बाबा की

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इंतजार में आतुर वनटागियां नवमी पूरे आत्मविश्वास से बोले, बाबा हमारे लिए लड़े, मुकदमा भी झेले। आज जब वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं तो भी हमें नहीं भूले हैं, इसका हमें गुमान है। हम तो उनकी पूजा करते हैं।

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