हमास से लड़ेंगे भारत के संत? नरसिंहानंद बोलें - इजराइल हमें भी अपनी सेना में शामिल करे

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हमास से लड़ेंगे भारत के संत? नरसिंहानंद बोलें - इजराइल हमें भी अपनी सेना में शामिल करे

हमास से लड़ेंगे भारत के संत? नरसिंहानंद बोलें - इजराइल हमें भी अपनी सेना में शामिल करे

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में अब भारत के सन्यासियों ने भी शामिल



पब्लिक न्यूज़ डेस्क। इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में अब भारत के सन्यासियों ने भी शामिल होने का फैसला किया है। सन्यासियों का नेतृत्व डासना देवी मंदिर के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद करेंगे। उन्होंने कहा कि वह खुद 1000 सन्यासियों के साथ इजरायली दूतावाज जाकर वहां की सरकार को लिखित सुझाव देंगे और इस युद्ध में इजराइल की तरफ से लड़ने की अनुमति मांगेंगे। इस संबंध में यति नरसिंहानंद ने एक वीडियो भी जारी किया है। 

इसमें उन्होंने कहा है कि इजरायल और गाजा पट्टी के आतंकियों के बीच युद्ध चल रहा है। इसमें गाजा पट्टी से आएआतंकियों ने इजराइल वासियों कहर बरपाया है।अब इन आतंकी संगठनों ने इकट्ठा होकर इजराइल पर हमले की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि हालात को देखते हुए भारत में सन्यासियों के बीच भी आवाज उठने लगी है कि इस युद्ध में इजराइल का साथ दिया जाए।  उन्होंने कहा कि वह खुद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से 1000 सन्यासियों को साथ लेकर सोमवार को दिल्ली में इजराइल के दूतावास पहुंचेंगे। 

जहां वह गाजा पट्टी के आंतकियों के साथ चल रही लड़ाई में इजराइल के साथ मिलकर लड़ने की अनुमति मांगेंगे। गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने अपने वीडियोद में धर्मगुरुओं, नेताओं और शिष्यों को इस लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया है। कहा कि इजरायल और सनातनियों का शत्रु एक ही है। हम सबको इनसे और इनकी किताब से लड़ना है। अभी भारत के लोग इस लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं।

इसीलिए जो लोग लड़ना चाहते हैं, इजरायल उन्हें अपनी लड़ाई में सम्मिलित करे। अगर इजराइल उन्हें और उनके शिष्यों को उनकी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं के साथ इजरायल में रहने की अनुमति दे तो वो हर मोर्चे पर लड़ाई के लिए तैयार हैं। कहा कि वह और उनके शिष्य शांति काल में इजरायल के विकास और उन्नति के लिए कार्य करेंगे। वहीं युद्ध व आपातकाल में अगले मोर्चें पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम हिन्दू हैं और हम अपनी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं को कभी भी किसी पर नहीं थोपते। इसीलिए कभी भी हमारे किसी से धार्मिक विवाद होने की कोई संभावना ही नहीं है।