पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का असर आगामी आम चुनावों पर भी पड़ सकता है, मुख्तार की हुकूमत वाली तीन सीटों पर बीजेपी पहले ही सेंध लगा चुकी जानिए

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पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का असर आगामी आम चुनावों पर भी पड़ सकता है, मुख्तार की हुकूमत वाली तीन सीटों पर बीजेपी पहले ही सेंध लगा चुकी जानिए

पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का असर आगामी आम चुनावों पर भी पड़ सकता है, मुख्तार की हुकूमत वाली तीन सीटों पर बीजेपी पहले ही सेंध लगा चुकी जानिए 

पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत की खबर ने सभी को हैरान कर दिया है 63 साल का मुख्तार अंसारी यूपी


पब्लिक न्यूज़ डेस्क - पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत की खबर ने सभी को हैरान कर दिया है। 63 साल का मुख्तार अंसारी यूपी की बांदा जेल में बंद था। गुरुवार की रात अंसारी को दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल पहुंचने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। मुख्तार की मौत के बाद सत्ता के गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है, जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी की कई सीटों पर देखने को मिल सकता है। माफिया नेटवर्क चलाने वाले मुख्तार अंसारी का सियासत में भी सिक्का चलता था। मुख्तार अंसारी लगातार 5 बार उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक रह चुका था, जिसमें से 2 बार मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने भी मुख्तार को टिकट दिया था। हालांकि मऊ के अलावा भी यूपी की कई सीटों पर मुख्तार अंसारी का दबदबा कायम था। इन सीटों में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, आजमगढ़ और बलिया का नाम शामिल है।

साल 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर का बोलबाला था। मगर इसके बावजूद यूपी की कुछ सीटों पर मुख्तार अंसारी का दबदबा कायम रहा। मोदी लहर भी मुख्तार के खौफ को कम ना कर सकी। तो आखिर यूपी की सियासत में मुख्तार की हुकूमत कैसे फीकी पड़ी? यूपी की राजनीति में मुख्तार के खात्में की शुरुआत साल 2014 में ही हो गई थी। उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से खुद प्रधानमंत्री मोदी ने नामंकन दाखिल किया और काशी उनका संसदीय क्षेत्र बन गया। इसी तरह बलिया में भी बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सनातन पांडे को चुनाव में मात दे दी। ऐसे में वाराणसी और बलिया मुख्तार के हाथ से जा चुका था। इसके अलावा चंदौली की सीट भी बीजेपी के खाते में चली गई थी, जहां से बीजेपी नेता डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे लगातार दो बार सांसद बन चुके हैं।

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वाराणसी, बलिया और चंदौली के अलावा बाकी की सीटों पर मुख्तार अंसारी का दबदबा 2019 के आम चुनावों में भी बरकरार था। गाजीपुर में मुख्तार के भाई अफजल अंसारी ने बीजेपी नेता मनोज सिन्हा को शिकस्त दी। तो वहीं जौनपुर से बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव ने बीजेपी नेता कृष्ण प्रताप सिंह को मात दे दी। आजमगढ़ से भी बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को सपा सुप्रीमो आखिलेश यादव से हार का सामना करना पड़ा था।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में क्या बीजेपी मुख्तार की हुकूमत वाली यूपी की इन सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब होगी या मुख्तार की मौत के बाद भी गाजीपुर, जौनपुर और आजमगढ़ की सीट बीजेपी की पहुंच से दूर ही रहेंगी।