स्वामी मौर्य ने RSS प्रमुख पर साधा निशाना बोले- जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें

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स्वामी मौर्य ने RSS प्रमुख पर साधा निशाना बोले- जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें

स्वामी मौर्य ने RSS प्रमुख पर साधा निशाना बोले- जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें

पिछले दिनों रामचरितमानस पर बयान देकर सुर्खियों में आए


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। पिछले दिनों रामचरितमानस पर बयान देकर सुर्खियों में आए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत पर एक बार फिर से निशाना साधा है। रामचरितमानस के बाद अब मनुस्मृति को लेकर उन्होंने कहा कि ‘जातिगत की जननी मनुस्मृति को प्रतिबंधित करें। संघ प्रमुख का बयान है-जाति व्यवस्था खत्म होनी चाहिए, यह कहने से नहीं होगा।  पैदा हुई वर्ण व्यवस्था मनुस्मृति की देन है।  ऐसे ही और ग्रंथ है, जो जाति व्यवस्था की देन है।  ’

वहीं, एक ट्वीट में स्वामी मौर्य ने कहा कि ‘संघ प्रमुख जी, जब तक मुंह, बाहुं, जंघा और पैर से वर्ण पैदा करने वाले मनुस्मृति सहित अन्य तमाम ग्रन्थ रहेंगे तब तक जातियां रहेंगी और जब तक जातियां रहेंगी तब तक छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव और असमानता भी रहेगा। यदि जातियां खत्म करनी ही हैं, तो पहले विषाक्त ग्रंथ और साहित्य प्रतिबंधित कराएं। ’

रामचरितमानस पर की थी टिप्पणी

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उनमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। 

मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था। साधु–संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी। उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज किया गया। उनके समर्थन में ओबीसी महासभा संगठन के कार्यकर्ताओं ने श्रीरामचरितमानस के कथित आपत्तिजनक अंश की प्रतियां जलाई थीं। 

चौपाइयों को हटाने के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र

पिछले दिनों स्वामी मौर्य ने पीएम मोदी को एक पत्र लिख कर रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग की थी। पीएम मोदी के लिए लिखे गए पत्र में स्वामी मौर्य ने कहा था कि भारत का संविधान धर्म की स्वतंत्रता और उसके प्रचार प्रसार की अनुमति देता है। धर्म मानव कल्याण के लिए है। ईश्वर के नाम पर झूठ, पाखंड और अंधविश्वास फैलाना धर्म नहीं हो सकता। 

स्वामी मौर्य ने लिखा था कि ‘क्या कोई धर्म अपने अनुयायियों को अपमानित कर सकता है। क्या धर्म बैर करना सिखाता है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, लेकिन धर्म के नाम पर फैलाई जा रही घृणा और वर्णवादी मानसिकता का विरोध करता हूं।  इसलिए हमारी मांग है कि पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाले और हिंसा प्रेरित प्रवचन करने वाले कथावाचकों के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए।