प्रकृति सुरक्षा ही सबसे बड़ी पूजा साधना, नवलेशश्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण लीलाओं का किया बखान

  1. Home
  2. उत्तर प्रदेश

प्रकृति सुरक्षा ही सबसे बड़ी पूजा साधना, नवलेशश्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण लीलाओं का किया बखान

प्रकृति सुरक्षा ही सबसे बड़ी पूजा साधना

प्रकृति सुरक्षा ही सबसे बड़ी पूजा साधना


संवाददाता विवेक मिश्रा 

चित्रकूट। मुख्यालय में चल रही भागवत कथा के पांचवें दिन भागवत व्यास ने बताया कि इस संसार में बडे़-बड़े ज्ञानी, विज्ञानियों का चित्त भी माया में फंस जाता है। शब्द जाल महारण्यम के अनुसार यह एक जंगल है। इसलिए सन्यासी होने के बाद ज्यादा शास्त्र, पठन पाठन, चिंतन भी निषेध माना गया है। वयस्क बहन, पुत्री के साथ एकांत में बैठना भी ठीक नहीं, क्योंकि इन इन्द्रियों का कोई ठिकाना नहीं, यह कब भटक जाए। विद्या समापि कर्षति यह बात भी श्रीमद भागवत नवम स्कंद में लिखी है।

एसडीएम कालोनी स्थित केशरवानी परिवार में चल रही भागवत कथा में भागवताचार्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। बताया कि श्रीकृष्ण ने ब्रज में लीला किया, लेकिन अगर आध्यात्म चिंतन किया जाए तो मिट्टी खाकर पृथ्वी तत्व, दावाग्नि का पान कर अग्नि तत्व, कालिया नाग का मर्दन कर भगवान ने पंच तत्वों का शोधन किया। श्रद्धेय व्यक्ति के ऊपर विश्वास करने से पूतना रूपी संशय व भय स्वरूप कंस का विनाश होता है। इसलिए जीवन में एक श्रद्धेय महापुरुष का चयन करना चाहिए। जिससे जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे। श्रीमद भागवत यही संदेश प्रदान करती है। भगवान श्रीकृष्ण ने सात वर्ष की आयु में गोवर्द्धन पर्वत पूजा ग्वाल बालो से कराकर 56 भोग लगवाया। मानव समाज को शिक्षा देते हुए बताया कि प्रकृति से जुड़े रहना चाहिए। तालाब, नदियो, पोखरों को सुरक्षित रख वृक्षों का कटान रोकना चाहिए। आज मनुष्य इन्हे नष्ट कर रहा है। जल ही जीवन है। एक-एक बूंद बचाओ, क्योंकि अगर प्रकृति से खिलवाड करेंगें तो यह प्रकृति दंडित करेगी। प्रकृति सुरक्षा ही सबसे बड़ी पूजा, आराधना एवं साधना है। इस मौके पर राकेश केशरवानी आदि सैकड़ो श्रोतागण मौजूद रहे।