महाराजगंज:बुद्ध की ननिहाल पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम

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महाराजगंज:बुद्ध की ननिहाल पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम

आज से बनरसिहा कला देवदह में खोदाई करेगी

आज से बनरसिहा कला देवदह में खोदाई करेगी, टीम में शामिल हैं 70 लोग
उत्खनन के बाद महात्मा बुद्ध से जुड़े धरोहर आएंगे सामने


संवाददाता-विजय चौरसिया

पब्लिक न्यूज़ टीवी महराजगंज। महात्मा बुद्ध से जुड़े अवशेषों की खोदाई के लिए बनरसिहा कला देवदह में शनिवार की शाम को पुरातत्व विभाग की उत्खनन टीम पहुंची। टीम के सदस्य व्यवस्था बनाने में जुटे हैं। टीम में करीब 70 लोग शामिल हैं। महात्मा बुद्ध से जुड़े अवशेष खोदाई के बाद सामने आएंगे तो विश्व पटल पर बनरसिहा कला का नाम होने के साथ ही रामग्राम को भी पहचान मिलेगी। सबसे पहले खोदाई बनरसिहा कला में होगी।
पुरातत्व उत्खनन अधिवेक्षण अधिकारी लखनऊ रामविनय ने बताया कि बनरसिहा कला में मौजूद बौद्धकालीन टीले का पुन: उत्खनन होगा। ताकि जमीन में दबी वर्षों पुरानी सभ्यता, संस्कृति और विरासत की समुचित पहचान ही जा सके। बनरसिहा कला में टीम पहुंच चुकी है। रविवार को टेंट आदि लगाकर खोदाई शुरू की जाएगी। सबसे पहले राजमहल टीले के अवशेषों का उत्खनन होगा।

टीले के नाम मात्र 1.04 एकड़ जमीन बची देवदह भगवान बुद्ध की ननिहाल है। नौतनवां तहसील के देवदह कला और देवदह खुर्द में यह स्थान है। 1978 में पुरातत्व विभाग ने यहां 88.8 एकड़ भूमि संरक्षित कर किसी भी प्रकार के निर्माण और खनन पर रोक लगा दी थी। टीले के नाम मात्र 1.04 एकड़ जमीन बची है।

देवदह गौतम बुद्ध की मां महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी और पत्नी यशोधरा की जन्मस्थली है। देवदह और राम ग्राम के बारे में विशेष जानकारी रखने वाले डॉ. परशुराम गुप्त बताया कि सम्राट हर्ष के शासन में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया था। वह देवदह भी आए थे। पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की पटना इकाई ने 1991 में यहां खनन कराया था। स्तूप को गुप्त काल से पहले का बताया गया।