माफिया अतीक जेल से चला रहा था IAS 227 गैंग, जमीन के अवैध कारोबार से पालता था गुर्गों का पेट,जानें रिपोर्ट…

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माफिया अतीक जेल से चला रहा था IAS 227 गैंग, जमीन के अवैध कारोबार से पालता था गुर्गों का पेट,जानें रिपोर्ट…

माफिया अतीक जेल से चला रहा था IAS 227 गैंग

माफिया अतीक अहमद जरायम दुनिया का वह नाम जो जेल में बैठकर


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। माफिया अतीक अहमद जरायम दुनिया का वह नाम जो जेल में बैठकर अपने साम्राज्य को चलाता रहा। उसका भाई अशरफ भी उसकी गैंग में मास्टरमाइंड की भूमिका निभाता रहा। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद माफिया अतीक अहमद पर कार्रवाई शुरू हुई तो आईएस 227 के लोगों ने गैंग चलाने के लिए नया पैंतरा इजात कर लिया। इस गैंग के पनपने में पीडीए और स्थानीय पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।अतीक और उसके भाई अशरफ के जेल जाने के बाद भी आईएस गैंग 227 खूब फतला फूलता रहा।

अतीक अहमद के गैंग आईएस 227 में शामिल लोगों की पुलिस अब आपराधिक कुंडली तैयार कर रखी है। इस गैंग में कुल 179 सदस्य हैं।  ये सभी समाज के लिए कोढ़ में खाज बन चुके थे।  योगी सरकार बनते ही माफियाओं पर करवाई शुरू हुई। जिसके तहत माफिया अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को जेल भेज दिया गया और उनके गुर्गों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई। अपराध से अर्जित संपत्ति पर कुर्की की करवाई और अवैध निर्माण पर बाबा का बुल्डोजर गर्जना शुरू हो गया।

आईएस 227 गैंग का काम था जमीन का अवैध कारोबार

एक तरफ जहां योगी सरकार की कार्रवाई से गिरोह को नुकसान हो रहा था वहीं दूसरी तरफ गैंग के सदस्य पैंतरा बदलकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे थे। 
 जिसमें कुछ स्थानीय अधिकारी योगी सरकार के मंशा पर पानी फेरते हुए अतीक गैंग को पर्दे के पीछे से मदद कर रहे थे। आईएस 227 गैंग के लोगों का सबसे बड़ा काम जमीन का अवैध कारोबार था। गैंग के सदस्य औनेपौने दामों पर जमीन खरीदकर उसकी प्लॉटिंग कर करोड़ों कमाते रहे। जिससे गैंग संचालित होता रहे। गैंग मुखिया का हिस्सा अपने आप पहुंच जाता था। 

जमीन की सरकारी मालियत 19 लाख के ऊपर है लेकिन वह महज 8 लाख में खरीदी गई।  दूसरी जमीन की रजिस्ट्री 17 लाख सरकारी मालियत की है जो मात्र 5 लाख रुपये में खरीदी गई।  गौर करने वाली बात यह है कि रजिस्ट्री मो मुसर्रफ पुत्र मो. मिया चकिया ने अतीक के भाई अशरफ के नाम किया।  मो मुसर्र्फ अतीक अहमद के गैंग का सक्रिय सदस्य रूकसर उर्फ अच्छे का सगा भाई है। मो मुसर्र्फ के कुल 9 भाई हैं जिसमे से 2 हिस्ट्रीशीटर हैं। मुसर्रफ गैंग चार्ट में शामिल नहीं है, इसी का फायदा फायदा गैंग के लोगों ने उठाया। 

रजिस्ट्री की गई जमीन को सरकारी अभिलेखों में दर्ज न करवा कर सीधे मुसर्रफ जमीनों का धंधा करता रहा। इस काम में पीडीए के साथ स्थानीय प्रशासन की भी मिलीभगत रही।  जिससे इसका कारोबार बिना रोक टोक चलता रहा।  इस तरह के कारोबार से जो फायदा होता वह सीधे माफिया अतीक अहमद को पहुंचता रहा।