उत्तर प्रदेश के हर गांव का होगा कायाकल्प, युद्धस्तर पर काम जारी, अब गांवों को मिलेगी राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति

उत्तर प्रदेश में गांवों के कायाकल्प के विजन को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है।
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। उत्तर प्रदेश में गांवों के कायाकल्प के विजन को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ अब राज्य के सभी गांवों की स्वच्छता और स्वावलंबन को ध्यान में रखकर नए एप्रोच के साथ कार्ययोजना को आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रदेश के सभी गांवों को ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) बनाने के साथ ही ओडीएफ प्लस केटेगरीज में गांवों को अपडेट करने के लिए काम किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए गांवों की तस्वीर बदलने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। सीएम योगी की मंशा के अनुरुप प्रदेश के सभी गांवों में गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए स्वच्छता को बढ़ावा देने के साथ ही आय को बढ़ाने के प्रयासों पर भी बल दिया है। इसी के साथ राज्य के सभी गांवों में कैटल डंग और कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित किए जाने की कार्ययोजना के प्लान को युद्धस्तर पर पूरा किया जा रहा है। इतना ही नहीं, गांवों में प्लास्टिक समेत अन्य अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर भी बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है।
इन सब प्रयासों के जरिए प्रदेश के सभी गांवों को स्वच्छता की रैंकिंग में ऊपर लाने और राज्य व देश स्तर पर पुरस्कृत किए जाने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है।
गोबरधन प्रबंधन बनेगा स्वच्छता का साधन…
ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने की मंशा से गोबरधन योजना को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है । हर जिले 50 लाख रुपए धनराशि आवंटन की व्यवस्था की गई है. इस समय में, बायोगैस प्लांट का निर्माण, गांव को सरकारी गौशालाओं से जोड़कर किया जा रहा है। जिससे की प्लांट के लिए फीड स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके. कार्ययोजना के मुताबिक, प्लांट से बनने वाली गैस से जेनरेटर को जोड़कर गांवों के सामुदायिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था भी की जा रही है।
साथ ही साथ चिह्नित परिवारों को रसोई में प्रयोग के लिए चूल्हे भी लगाकर देने के संबंध में व्यवस्था की जा रही है। फिलहाल, प्रदेश में 20 जिलों में गोबरधन से संबंधित प्लांट पूरे किए जा चुके हैं। जबकि 38 जिलों में 60 प्लांट निर्माणाधीन हैं।
कचरा प्रबंधन को ठीक करने पर जोर
स्वच्छ भारत मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर राज्य के सभी गांवों के मलीय कचरे के निस्तारण प्रबंधन को ठीक ढंग से चलाने और इसको बढ़ाने के लिए भी तेजी से काम हो रहा है.प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित है।
स्वच्छ सर्वेक्षण से मिलेगी गांवों को नई पहचान
अब गावों को नई पहचान दिलाने की भी कोशिश की जा रही है. स्वच्छ सर्वेक्षण से गावों को नई पहचान मिलेगी। स्वच्छता के क्षेत्र में ओडीएफ प्लस के विभिन्न पायदान पर अच्छा काम करने वाले ग्राम पंचायतों का चयन किया जाएगा। ग्राम पंचायतों के चयन के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग, जलशक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 का आयोजन किया जा रहा है।
ऐसे में, प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रत्येक विकास खंड की सभी ग्राम पंचायतों की सहभागिता पंजीयन के बाद जनसंख्या के आधार पर तीन केटेगरीज में बांटा जाएगा। 2000 तक, 2001 से 5000 तक व 5000 से ज्यादा आबादी वाली 5-5 ग्राम पंचायतों के रूप में कुल 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का चयन किया जाएगा। इसी तरह से हर विकास खंड से चयनित 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों में से जिला स्तर 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का भी चयन किया जाएगा।
2 अक्टूबर को मिलेगा सम्मान
प्रदेश में स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 में सहभागी सत्यापन को पूरा करने की विकास खंड स्तर समयावधि पर इस साल एक मई से 15 जून के बीच तय की गई है। जबकि, जनपद स्तर पर 16 जून से 30 जून, राज्य स्तर पर एक जुलाई से 15 जुलाई तक और जिले स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत किए जाने के लिए 31 जुलाई तक की समयसीमा तय की गई है। वहीं, राज्य स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत करने की समयावधि 15 अगस्त तक निर्धारित की गई है। राज्य की ओर से नामित उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था द्वारा सत्यापित करने की समयसीमा 16 जुलाई से 15 अगस्त के बीच तय की गई है। सभी आवेदनों की समीक्षा के बाद चयनित ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार देने के लिए 2 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
जाहिर है, इन मानकों पर खरा उतरकर प्रदेश के गांवों को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिए राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर प्रयास जारी कर दिए हैं।