लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं, अखिलेश यादव के करीबी ही छोड़ रहे उनका साथ जानिए

  1. Home
  2. उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं, अखिलेश यादव के करीबी ही छोड़ रहे उनका साथ जानिए

 लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं, अखिलेश यादव के करीबी ही छोड़ रहे उनका साथ जानिए 

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे अखिलेश यादव से उनके अपने अलग होते जा


पब्लिक न्यूज़ डेस्क- जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे अखिलेश यादव से उनके अपने अलग होते जा रहे हैं। उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कहां तो INDIA गठबंधन और PDA के फॉर्मूले के सहारे भाजपा और NDA को उत्तर प्रदेश में मात देने की तैयारी चल रही थी, लेकिन महज कुछ दिनों में हालात कुछ ऐसे बदले कि राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया।

जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। समाजवादी पार्टी इस झटके से उबर नहीं पाई थी कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया। अब खबर आ रही है कि राज्यसभा चुनाव में अपना दल कमेरवादी को एक भी सीट न दिए जाने से नाराज पल्लवी पटेल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने से मना कर दिया है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने अपने कोटे से राज्यसभा में 3 उम्मीदवारों को भेजने का फैसला लिया है। इसमें जया बच्चन के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का नाम भी शामिल है और एक नाम रामजीलाल सुमन का है। जया बच्चन और आलोक रंजन दोनों ही अगड़ी जाति से आते हैं। अपना दल कमेरावादी को यह उम्मीद थी कि शायद एक सीट राज्यसभा की उनको भी दी जाएगी, लेकिन जब समाजवादी पार्टी ने अपने तीनों उम्मीदवार घोषित कर दिए तो पल्लवी पटेल पूछ रही हैं कि इनमें PDA कहां है? खबर मिल रही है कि पल्लवी पटेल जो खुद समाजवादी पार्टी के ही टिकट से विधायक का चुनाव जीती थीं, वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट नहीं देंगे।

x

समाजवादी पार्टी यह समझ भी नहीं पाई थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने एकदम से झटका दे दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अचानक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देते हुए इस बात पर नाराजगी जताई कि पार्टी के छुटभैये नेता उनके बयान को निजी बयान बता रहे हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व की खामोशी यह बताती है कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के बयान का कोई महत्व नहीं। ऐसे में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। लगातार हिंदू देवी-देवताओं और धर्म ग्रंथों पर विवादित टिप्पणी करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पार्टी के ही मुख्य सचेतक मनोज पांडे समेत कई नेताओं ने मोर्चा खोल रखा है तो आशंका और बढ़ गई है कि भविष्य में स्वामी प्रसाद मौर्य भी समाजवादी पार्टी से अलग हो सकते हैं।