प्रभात हत्याकांड में केंद्रीय मंत्री टेनी पर फैसला आज, 23 साल पहले गोली मारे जानें का मामला ?

लखीमपुर के तिकुनिया में 23 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। लखीमपुर के तिकुनिया में 23 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में आज फैसला आ सकता है। 23 साल की सुनवाई में 3 बार हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस हत्याकांड में फैसला सुरक्षित रखा, लेकिन फैसला नहीं आ पाया। आज जस्टिस AR मसूदी और OP शुक्ला की बेंच प्रभात गुप्ता मर्डर केस में अपना फैसला सुना सकती है। इस फैसले के साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के भविष्य का भी फैसला होगा।
8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में जिन 4 लोगों को नामजद किया गया, उसमें सुभाष मामा, शशि भूषण उर्फ पिंकी, राकेश उर्फ डालू के साथ-साथ मौजूदा समय के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी भी शामिल हैं। प्रभात गुप्ता के दिवंगत पिता संतोष गुप्ता की तरफ से दर्ज कराई गई FIR में आरोप लगाया गया कि उनके बेटे प्रभात गुप्ता को दिनदहाड़े अजय मिश्र टेनी ने गोली मारी थी।
प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने बताया, "8 जुलाई, 2000 का दिन मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। उस दिन भैया घर से दुकान जा रहे थे। तभी अजय मिश्र टेनी अपने साथी शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा के साथ मौके पर पहुंचा। उसने मेरे भाई को रोका। कुछ अनबन हुई, उसके बाद गोली चली। पहली गोली अजय मिश्रा ने चलाई, जो सीधे जाकर मेरे भाई की कनपटी पर लगी। दूसरी गोली सुभाष मामा ने चलाई, जो सीने पर लगी। इसके बाद मेरे भाई सड़क पर गिर गए। उनकी मौके पर मौत हो गई।"
जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम...
चार्जशीट के बाद खारिज हुआ था अरेस्ट स्टे, राजीव गुप्ता हैं वादी
लखीमपुर के तिकुनिया थाने में 4 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इसके कुछ ही दिन बाद केस बिना वादी की जानकारी के CBCID को ट्रांसफर कर दिया गया। प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच CBCID से लेकर फिर लखीमपुर पुलिस को दे दी।
लखीमपुर में जांच अधिकारी ने SP लखीमपुर को जांच किसी अन्य से कराने के लिए लिखित प्रार्थना पत्र दिया। तब IG जोन लखनऊ ने विशेष टीम से विवेचना करवाई। 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई। इसी बीच अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया।
5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा के अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया। इस बीच प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई। इसके बाद केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू कर दी।
2004 में चारों आरोपी निचली अदालत से हुए थे बरी
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया। प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई। तब 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर देना पड़ा।
हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और अगले ही दिन 26 जून को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई।
24 घंटे के अंदर निचली अदालत में सरेंडर और फिर अगले ही दिन ऊपरी अदालत के द्वारा जमानत मंजूरी के इस पूरे मामले की शिकायत तत्कालीन डीजीसी ने डीएम लखीमपुर को पत्र लिखकर की। डीजीसी क्रिमिनल की उस चिट्ठी में साफ लिखा है कि अजय मिश्रा गिरफ्तारी से बचते रहे। उन्होंने अपनी मर्जी के हिसाब के समय 25 जून 2001 को तब सरेंडर किया जब जिला जज छुट्टी पर थे। उसी दिन अजय मिश्रा ने सरेंडर किया और साथ ही जमानत की अर्जी भी डाल दी।
अमूमन एडीजे कोर्ट में जमानत पर सुनवाई 1:00 बजे के बाद होती है और ऊपरी अदालत सेशन में बेल एप्लीकेशन 12:00 बजे तक ही ली जाती है, लेकिन अजय मिश्रा के सरेंडर करते ही सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी डाल दी गई और इस मामले में शासकीय अधिवक्ता को बहुत जोर देने के बाद बहस करने के लिए एक रात की मोहलत दी गई और अगले दिन 26 जून 2001 की सुबह 11:00 बजे अजय मिश्रा को जमानत भी मिल गई। पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल होने के बाद लखीमपुर कोर्ट में प्रभात गुप्ता मर्डर केस का ट्रायल शुरू हुआ और 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्रा समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए।