Kanpur news: 500 गांवों के बीच UP का यह बीमार अस्पताल! बिना संसाधनों के अस्पताल में हो रहा इलाज?

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Kanpur news: 500 गांवों के बीच UP का यह बीमार अस्पताल! बिना संसाधनों के अस्पताल में हो रहा इलाज?

Kanpur news: 500 गांवों के बीच UP का यह बीमार अस्पताल! बिना संसाधनों के अस्पताल में हो रहा इलाज?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता को सुधार लाने के लिए लगातार प्रयासरत है।


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता को सुधार लाने के लिए लगातार प्रयासरत है। पर अब भी कुछ ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। कानपुर देहात के रसूलाबाद का एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उन्हीं अस्पतालों में से एक है। यहां पर न बिजली है और न ही पेयजल के लिए कोई खास इंतजाम यहां आने वाले मरीजों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  अस्पताल के डॉक्टर की ओर से लिखी गईं दवाइयां भी बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं। 

रसूलाबाद के ग्रामीण बताते हैं कि यहां दूर-दूर तक कोई सुविधा संपन्न अस्पताल नहीं हैं। 500 गांवों के बीच यही एक सीएचसी है, जहां पर मरीज अपना इलाज कराने आते हैं।  लेकिन, यहां समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने की वजह से मरीजों को या तो प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है या इलाज के लिए किसी बड़े शहर की ओर रूख करना पड़ता है। 

गर्भवतियों को सबसे ज्यादा परेशानी

ग्रामीणों की मानें तो सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवतियों को होती है।  यहां बने एनआईसीयू वार्ड में इलाज की समूचित व्यवस्था नहीं है।  यहां पर पंखे और लाइट लगे तो हैं, लेकिन बिजली नहीं होने की वजह से कई बार ऐसी नौबत आ जाती है कि महिलाओं का प्रसव टार्च या दीये की रोशनी में करना पड़ता है।  इन्वर्टर की व्यवस्था भी नहीं है।  इस वजह से जच्चा-बच्चा दोनों की जान का बना खतरा रहता है। 

बाहर से खरीदनी पड़ती हैं दवाइयां

मरीजों की मानें तो यहां डॉक्टर जो दवाइयां लिखते हैं, वह अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं रहता।  मजबूरन उन्हें बाहर के मेडिकल शॉप पर खरीदनी पड़ती है।  अधिकतर मरीजों को यहां से 70 किलोमीटर दूर कानपुर रेफर कर दिया जाता है। ग्रामीण कहते हैं कि कानपुर जाने के लिए रास्ता भी ठीक नहीं है। 

वहीं, इस मामले में रसूलाबाद सीएचसी के अधीक्षक पीयूष त्रिपाठी मीडिया से कुछ भी कहने से बचते नजर आए।  ग्रामीणों के अनुसार, अस्पताल को बनाने में लाखों रुपये खर्च तो कर दिए गए। पर अस्पताल में संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए।  न ही किसी अफसर और न ही किसी जनप्रतिनिधि का अस्पताल पर ध्यान है।