यूपी के अन्नदाताओं के लिए खेती का सुनहरा मौका …जीवीओ बढ़कर 38 हजार करोड़ हुआ

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यूपी के अन्नदाताओं के लिए खेती का सुनहरा मौका …जीवीओ बढ़कर 38 हजार करोड़ हुआ

यूपी के अन्नदाताओं के लिए खेती का सुनहरा मौका …जीवीओ बढ़कर 38 हजार करोड़ हुआ  

धूप में काम करने वाले किसान,हमारे देश को आर्थिक मजबूती देने में अहम भूमिका निभाते है।


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। धूप में काम करने वाले किसान,हमारे देश को आर्थिक मजबूती देने में अहम भूमिका निभाते है। योगी सरकार भी लगातार अन्नदातों के भले के बारे में सोचने का दावा करती है। योगी सरकार कहती है कि हमारे अन्नदातों की परेशानी, हमारी परेशानी है.अब उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सुनहरा अवसर बन रहा है। यूपी के किसानों के लिए फलों और सब्जियों की खेती की संभावनाएं ज्यादा बन रही है।

एक दशक में 7.2 फीसद से बढ़कर 9.2 हुई हिस्सेदारी  

खास बात ये है कि एक दशक में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 7.2 फीसद से बढ़कर 9.2 हो गई। इसी कड़ी में देखा जाए तो ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) 20.6 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ रुपये हो गया। दरअसल, योगी सरकार की ओर से कृषि विविधीकरण और बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने की अपील की गई। साथ ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस व मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गुणवत्तापूर्ण पौधों का उत्पादन कर किसानों को न्यूनतम रेट में देना, संरक्षित तापमान व नमी नियंत्रित कर संरक्षित खेती को बढ़ावा के साथ मंडियो के आधुनिकरण के महत्व को भी ज्यादा बताया गया है।

सबसे अहम ये है कि फल और सब्जियों की खेती व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही लगातार खेती को हर संभव प्रोत्साहन दे रही है। खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा जा रहा है। बता दें कि करीब सालभर पहले और योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि के साथ महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी बढ़ाने के लिए कहा गया था। उसी के अनुरूप काम भी हो रहा है। लक्ष्य के मुताबिक 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसद से बढ़ाकर 16 फीसद और खाद्य प्रसंस्करण 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद किया जाना है। इसके लिए लगने वाली प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों और सब्जियों की जरूरत होगी।  

2027 तक होगी हॉर्टिकल्चर की बुनियादी संरचना  

इस प्लानिंग को पूरा करने के लिए काम भी जारी है। मसलन चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्माणाधीन है। और कई जिलों में हाईटेक नर्सरी निर्माणधीन है। साल 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में होगी। सरकार से मिले प्रोत्साहन के बाद पिछले 6 सालों में किसानों के लिए फलों-सब्जियों की खेती के रकबे में 1.01 लाख हेक्टेयर से अधिक और उपज में 0.7 फीसद से अधिक की वृद्धि की गई।

बेमौसम भी उगाई जा सकेगी ज्यादा सब्जियां  

नमी और तापमान नियंत्रित कर बेमौसम बेहतरीन पौध और सब्जियां उगाने के लिए इंडो इजराइल तकनीक पर ही संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम भी लगातार जारी है। पिछले 5 सालों में फूल और सब्जी के उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर में पॉली हाउस-शेडनेट का विस्तार किया गया है….जिससे 5 हजार 549 किसानों लाभ मिला है….योगी-2.0 सरकार में भी ये सिलसिला जारी रहे, इसके लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है।

फसलों को लेकर कृषि वैज्ञानिक की अहम राय   

उत्तर प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे अहम जरिया फल, सब्जियों और मसालों की खेती का है। 9 तरह का कृषि जलवायु क्षेत्र होने के नाते अलग-अलग क्षेत्रों में हर तरह के फल, सब्जियों और फूलों की खेती संभव है। इसमें लघु-सीमांत किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनकी संख्या कुल किसानों की संख्या में करीब 90 फीसदी है।