कांग्रेस ने गोडसे और सावरकर से की गीता प्रेस की तुलना, संतो ने जताई बयान पर आपत्ति

केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा गीता प्रेस को गांधी शांति पुरुस्कार वर्ष 2021 के लिए चयन किया गया है।
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा गीता प्रेस को गांधी शांति पुरुस्कार वर्ष 2021 के लिए चयन किया गया है। संस्कृति मंत्रालय के द्वारा गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद पीएम मोदी से लेकर तमाम नेताओं ने बधाई दिया, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इसका विरोध कर नया विवाद शुरू कर दिया है। कांग्रेस के महासचिव जय राम नरेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर गीता प्रेस की तुलना सावरकर और गोडसे से कर दिया गया। कांग्रेस नेता के द्वारा गीता प्रेस की तुलना सावरकर और गोडसे से किए जाने पर अखिल भारतीय संत समिति ने कांग्रेस के नेता के बयान पर आपत्ति दर्ज करवाई है।
गीता प्रेस को पुरस्कार दिया जाना गोडसे और सावरकर को पुरस्कार देने जैसा
गांधी शांति पुरस्कार वर्ष 2021 की घोषणा संस्कृति मंत्रालय ने गीता प्रेस गोरखपुर केंद्र को दिए जाने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम नरेश ने बीजेपी पर जमकर कटाक्ष किया गया। जयराम नरेश ने गीता प्रेस की तुलना गोडसे और सावरकर से करते हुए कहा कि, “गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया जाना, गोडसे और सावरकर को पुरस्कार दिए जाने जैसा है”।
अखिल भारतीय संत समिति ने कांग्रेस के बयान पर जताई आपत्ति
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर कांग्रेस द्वारा गीता प्रेस की तुलना सावरकर और गोडसे से किए जाने से संतों में आक्रोश का माहौल है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस महासचिव जयराम नरेश के बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि, जिस प्रकार कांग्रेस के द्वारा गीता प्रेस की तुलना गोडसे और सावरकर से किया गया वह बेहद निंदनीय है। कांग्रेस पार्टी ने मौलाना मदनी को जीवनभर राज्यसभा भेजा और जाकिर नाइक को देश में पालकर रखा। उस समय कभी भी हम सभी ने मुखर स्वर नही उठाया, जिस प्रकार से गीता प्रेस को शांति पुरस्कार दिए जाने से दिक्कत हो रही है, ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस भारत की जड़ों से कट चुकी है।