मानव को ज्ञानी बनाता है वैराग्य: नवलेश
कथा सुनाते कथा व्यास नवलेश दीक्षित
संवाददाता विवेक मिश्रा
चित्रकूट
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कम स्थली चित्रकूट में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास भागवतरत्न नवलेश दीक्षित ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया।
किलाबाग सीतापुर में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत कथा प्रवक्ता आचार्य नवलेश दीक्षित ने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। उन्होंने कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्रव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नरसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर हो गए।
कथा व्यास ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। उन्होंने वाराह अवतार सहित अन्य प्रसंगों पर प्रवचन किए। इससे पूर्व यजमान गिरजा शंकर पांडेय और उनकी धर्मपत्नी सुशीला देवी ने पूजा अर्चना की। इस मौके पर सैकड़ों श्रोतागण मौजूद रहे।