जो सुख प्रभु गान में वो बैकुंठ धाम में नहीं: मधुकर

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जो सुख प्रभु गान में वो बैकुंठ धाम में नहीं: मधुकर

 कथा सुनाते कथा व्यास

कथा सुनाते कथा व्यास


संवाददाता विवेक मिश्रा 
चित्रकूट

श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में अरविंद भाई मफत लाल की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में  चल रही नौ दिवसीय कथा में मिथिला धाम से आए किशोरी शरण मधुकर महाराज ने कथा के दूसरे दिन श्रोताओं को प्रभु के जाप और गान का महात्म्य बताते हुए कहा कि जो सुख बैकुंठ में नहीं है वो सुख प्रभु के गान व जप में है।

कथा व्यास ने बताया कि त्रेता युग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का इस धरा से अपने धाम जाने का समय आया और प्रभु सरयू नदी में जल समाधि लेने के लिए निकल पड़ते है तो सारे आयोध्यावासी और उनके अनंत भक्त भी उनके साथ सरयू  नदी की ओर चल देते है। मगर उनके परम सेवक भक्त हनुमान एकांत में उनके नाम का जाप करने में बैठे थे।

प्रभु राम की नजर जब हनुमान जी पर पड़ी तो उनको आश्चर्य हुआ कि सब भक्त मेरे साथ मेरे धाम जाने के लिए मेरे साथ जल समाधि लेने जा रहे है और ये एकांत में बैठे है तो प्रभु राम ने हनुमान जी से कहा कि हनुमान एकांत में बैठकर मेरे नाम का गान कर रहे हो और सब मेरे साथ बैकुंठ धाम जा रहे है। तुम भी बैकुंठ धाम चलो तो हनुमान जी ने जाने से मना कर दिया और कहा कि प्रभु जो सुख आपके जप और गान में है ओ सुख बैकुंठ में नहीं है। वहां तो सेवक बनकर ही रहना पड़ेगा। आपका गान करने को नही  मिलेगा। इसलिए हे प्रभु बैकुंठ में वो सुख नही जो आपके जप में है। इसलिए यही रहने दीजिए। इस प्रसंग को सुन सभी श्रोत भक्ति भाव में डूब गए।

इस मौके पर चित्रकूट के साधु संत, आम जनमानस, गुरु भाई, बहन एवं सदगुरू परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।