सूर्पनखा पर लिखे गए उपन्यास ‘मै मीनाक्षी हू’ का हुआ विमोचन

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सूर्पनखा पर लिखे गए उपन्यास ‘मै मीनाक्षी हू’ का हुआ विमोचन

 उपन्यास का विमोचन करते विद्वतजन

उपन्यास का विमोचन करते विद्वतजन


संवाददाता विवेक मिश्रा 
चित्रकूट

 हैदराबाद की दूरदर्शन की पूर्व निदेशिका एवं हिन्दी एवं तेलगू के बीट अनुवाद आदि के द्वारा साहित्य को समृद्ध करने वाली डा पुट्टपर्ति नागपदमिनी के उपन्यास ‘मै मीनाक्षी हू’ का विमोचन रामायण मेला के मंच पर भारत के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों की मौजूदगी में प्रख्यात साहित्यकार अनुसंधानकर्ता डा चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने किया।

डा ललित ने कहा कि सूर्पनखा को लेकर लिखा गया यह पहला उपन्यास है। इस उपनयास में सूर्पनखा को मीनाक्षी कहा गया है। उसके ऊपर लगे हुए लांछनों को दूर कर नारी का सौन्दर्य और प्रेम की मनोभावना का मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है।

आंध्र प्रदेश की नागपदमिनी की हिन्दी की सेवाओं की प्रशंसा करते हुए मुजफ्फर नगर के डा संजय पंकज ने कहा कि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विचार कर नए संदर्भो में प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।