प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं की सुनाई कथा

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प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं की सुनाई कथा

 रघुवीर मंदिर मे चल रही श्री राम कथा सुनते श्रोता

रघुवीर मंदिर मे चल रही श्री राम कथा सुनते श्रोता


संवाददाता विवेक मिश्रा 
चित्रकूट

 रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में चल रही नौ दिवसीय रामकथा के छठवें दिन मिथिला धाम से आए किशोरी शरण मधुकर महाराज ने श्रोताओं को प्रभु श्रीराम की बाल लीलाओं की कथा सुनाई।

उन्होंने बताया कि प्रभु श्रीराम के जन्म के समय अयोध्या में बधाई और उत्सव मनाया जाता है। एक माह बीत गए प्रभु को जन्म लिए। उनकी बाल लीलाएं देखने के लिए सारे देवी देवता नजर गड़ाए रहते थे। उधर भगवान शिव को प्रभु के दर्शन की मन में लालसा जागृति होती है तो भोलेनाथ एक वृद्ध ब्राह्मण का वेश बनाते है और कागभुसुंडि जी को अपना चेला बनाते है। अयोध्या जाकर लोगों की हस्त रेखा देख कर उसके बारे में बताने लगते है। यह बात पूरे नगर में हो जाता है कि बहुत बड़े ब्राह्मण आए है। हस्त रेखा देखकर सब कुछ बताते हैं। ये खबर राजा दशरथ के महल में पहुंची तो उनको बुलाया गया। तीनों रानियां चारो राजकुमारों को लेकर शिव जी के पास आती है। शिव जी प्रभु के पैर छूना चाहते है। मगर पैर प्रभु छिपा लेते है। तब कागभुसुंडि कहते है भोलेनाथ से प्रभु आशीर्वाद दीजिए अन्यथा पोल खुल जाएगी। शिव जी प्रभु राम को मन ही मन प्रणाम करते है और गोद में लेकर जन्म से विवाह तक की बात मां कौशिल्या को बताते है। कहते है जब मुनि विश्वामित्र इनको लेने आए तब समझ लेना इनके विवाह का समय आ गया। विवाह तक की बात बताकर भोलेनाथ चले जाते है।

कथा व्यास ने बताया कि माता कौशिल्या प्रभु राम को सुलाकर पूजा घर जाती है तो वहां भी राम जी उनको दिखते है। जहां सो रहे थे वहां भी। इस तरह प्रभु मां कौशिल्या को अपने विराट रूप का दर्शन कराते है। इसके बाद चारो भाइयों का नामकरण होता है। प्रभु श्रीराम अयोध्या में सरयू के किनारे बाल लीलाएं करते है। कथा सुनकर श्रोतागण आनंदित रहे। इस मौके पर साधु, संत, श्रोतागण आदि मौजूद रहे।