कविताओ में पिरोया प्रभु श्रीराम के आदर्श,माँ मंदाकिनी की दुर्दशा पर किया कटाक्ष
कविताओं के माध्यम से माँ मन्दाकनी नदी की दूरदसा का बखान करती कवियित्री
संवाददाता विवेक मिश्रा
चित्रकूट
रामायण मेला समारोह में कवि सम्मेलन का आयोजन मानस किंकर कवि राम प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। देश के विभिन्न अंचलों से आए कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। कु. रीना सिंह ने सरस्वती वंदना कर कवि सम्मेलन का शुरुआत की। उन्होंने चित्रकूट की जीवनदायिनी मां मंदाकिनी नदी की दुर्दशा का सटीक चित्रण करते हुए प्रस्तुत किया कि मंद-मंद अब सिसक रही मां मोक्षदायिनी, पग-पग में करुण क्रंदन सुनो मां का, क्या रक्त नहीं बहता रग में।
रायबरेली से पधारे कवि डा रसिक किशोर सिंह ने व्यंग्य रचना में कहा कि सच्चाई जो जीते वे झूठे कहे गए, जमाने की आग तो बुझाते ही रह गए। कवि डा घनश्याम अवस्थी ने अपनी ओजस्वी वाणी से राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रीय एकता से ओतप्रोत से गीत सुनाया। जिसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। गीतकार सुनील सौम्य, श्री नारायण तिवारी, दिनेश दीक्षित संघर्षी आदि कवियों ने मंच के माध्यम से अपनी रचनाएं प्रस्तुत किया।
संचालन कवि डा रामलाल द्विवेदी ‘प्राणेश’ ने करते हुए कवियो का हौसला बढ़ाया। उन्होंने राष्ट्रभक्ति से भरी हुई एक गीतिका सुनाई। हर शख्स को अपने वतन से प्यार होना चाहिए, दल के दलदल में कमल भारत का खिलना चाहिए को खूब तालियां मिलीं। कवि सम्मेलन में दर्शकों को काव्यरस से सराबोर किया।