सत्कर्मो से मिलता है मनुष्य जीवन: नवलेश

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सत्कर्मो से मिलता है मनुष्य जीवन: नवलेश

सत्कर्मो से मिलता है मनुष्य जीवन: नवलेश

भागवत कथा के विश्राम दिवस पर श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता का किया वर्णन
 


संवाददाता विवेक मिश्रा 

चित्रकूट। भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य नवलेश दीक्षित ने बताया कि मनुष्य जीवन बडे ही सत्कर्मो से प्राप्त होता है। साधनो धाम को मोक्ष द्वार कहा गया है। जिसे पाकर जीव का जीवन संवरता है, लेकिन ऐसे देव दुुर्लभ मनुष्य शरीर को प्राप्त कर मनुष्यता को शर्मसार कर रहे हैं। इस घनघोर कलिकाल में भी हरि स्मरण, सुमिरन, सत्संग से जीव अपने बंधनों से मुक्त हो सकता है।

यह बात भागवत कथा के विश्राम दिवस पर मुख्यालय के एसडीएम कालोनी स्थित केशरवानी आवास में भागवताचार्य नवलेश दीक्षित ने कही। उन्होंने बताया कि इस संसार में कोई सुगम साधन नहीं जिसके आगे बड़े-बड़े यज्ञ भी बौने पड़ जाते हैं। हरि नाम जप से बढ़कर कोई भी यज्ञ नहीं है। कथा सत्संग सभी का एक ही सार है। मरते समय उस परमसत्ता सर्वस्व श्री हरि कृष्ण राम का नाम एक बार इस जिभ्या से निकल आए। आचार्य ने कथा के अंत में श्रीकृष्ण और सुदामा की पावन मिमत्रता का बखान करते हुए बताया कि मित्र हो तो श्रीकृष्ण जैसा, क्योंकि सर्वेश्वर परमात्मा होकर भी निर्धन विप्र सुदामा को नहीं भूले। आज समाज में शब्द कोष में आए मित्र शब्द को कलंकित कर दिया। भाव एवं प्रेम मित्रता में लेना नहीं अपितु केवल देना ही होता है। परमहंस संहिता श्रीमद भागवत एक मुक्ति की घूंटी है जो जीव को अमरत्व प्रदान कर सहज रूप से श्रीकृष्ण की गोदी प्रदान कराती है। जीवन में एक बार इस पवित्र संहिता का श्रवण मनुष्य को अवश्य करना चाहिए, क्योंकि जीवन का यही सार है। इसी भागवत कथा श्रवण से परीक्षित की भी मुक्ति हुई। भगवान श्री नारायण की वाणी स्वरूप अमृत कथा से ससार में अनेको जीव का उद्धार किया। इस मौके पर कथा यजमान के अलावा सैकड़ों श्रोतागण मजैूद रहे।