अनुशासन ही व्यक्ति का वास्तविक संस्कार: डा. जैन

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अनुशासन ही व्यक्ति का वास्तविक संस्कार: डा. जैन

अनुशासन ही व्यक्ति का वास्तविक संस्कार: डा. जैन


मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट

संवाददाता विवेक मिश्रा 

चित्रकूट। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के दीनदयाल शोध संस्थान के स्वामी विवेकानंद सभागार में सहकारिता भारती की प्रदेश कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के ट्रस्टी डायरेक्टर डा. बीके जैन ने कहा कि अनुशासन ही व्यक्ति का सबसे बड़ा संस्कार है। व्यक्ति को अनुशासित रहते हुए अपने कार्य के प्रति ईमानदार होना चाहिए। कठिन परिश्रम करें। तभी व्यक्ति वास्तविक संस्कारी हो सकता है। उन्होंने कहा कि हर इंसान को दूसरे के बारे में ये नही सोचना चाहिए कि उसने क्या किया बल्कि ये सोचना चाहिए कि हमने क्या किया। इस सोच के साथ काम करने वाले लोग जीवन में कभी असफल नहीं हो सकते।