बाल योगी अरुण पुरी चैतन्य के हाथों रामायण मेले का समापन

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बाल योगी अरुण पुरी चैतन्य के हाथों रामायण मेले का समापन

रामायण मेला के समापन के दौरान कलाकार की प्रस्तुति

रामायण मेला के समापन के दौरान कलाकार की प्रस्तुति


कार्यकारी अध्यक्ष व महामंत्री ने भेंट किया शाल, श्रीफल

संवाददाता विवेक मिश्रा
चित्रकूट

राष्ट्रीय रामायण मेला के स्वर्णि जयंती महोत्सव के पंच दिवसीय कार्यक्रम का समापन मुख्य अतिथि बाल योगी अरुण पुरी चैतन्य संस्थापक अखिल भारतीय मठ मंदिर समन्वय समिति सिद्धनाथधाम गंगा सेवा महा अभियनम ने विधिविधान से किया। उन्होंने राश्ट्रीय रामायण मेला अनवरत रूप से 50 वर्ष पूरे होने पर मेले के आयोजको को जहां एक ओर बधाई दी वहीं मेले की व्यवस्था को देखकर हर्ष जताया। उन्होंने मेले के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आगामी समारोह को भव्यतम और अधिक मनोहारी कराने का आर्शीवाद दिया। उन्होंने चित्रकूट की महत्ता पर विस्तृत रूप से प्रकाष डाला।
राष्ट्रीय रामायण मेला के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश करवरिया व महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी ने मुख्य अतिथि का फूलमालाओं से स्वागत किया। कार्यकारी अध्यक्ष ने शाल, श्रीफल भेंट कर स्वागत किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सांसद आरके सिंह पटेल, पुलिस उप महानिरीक्षक डा विपिन कुमार मिश्र, पद्म श्री उमाशंकर पांडेय मौजूद रहे। पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने अतिथियों के प्रति आभार जताया। इस अवसर पर सहयोगी के रूप में राजाबाबू पांडेय, घनश्याम अवस्थी, मो यूसुफ सिद्दीकी, प्रिंस करवरिया आदि रहे।  

मालिनी अवस्थी के लोक गायन पर झूमे श्रोता
अंतिम सत्र में खेली गई फूलों की होली

राष्ट्रीय रामायण मेला स्वर्ण जयंती महोत्सवके पंचम दिवस सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। लखनऊ क्षिप्रा चन्द्रा, केन्द्रीय सूचना ब्यूरो भारत सरकार के कलाकारों और लखनऊ की डा मेनिका मिश्रा के भजन एवं लोकगीत एक ओर अपनी अलग छाप छोड रहे थे तो दूसरी ओर पदमश्री मालिनी अवस्थी का लोक गायन से दर्षक भावविभोर हो रहे थे। दर्शको ने कलाकारों का मनोबल बढ़ाते हुए तालियों की गडगडाहट से उनका स्वागत किया। तत्पष्चात भगवान श्रीकृष्ण, राधा एवं गोपियो द्वारा फूल की होली खेली गई। दर्षकों ने जमकर लुत्फ उठाया। फूलों की वर्षा की। इसके पूर्व जादू शो देखने के लिए भीड उमड़ पडी। कार्यक्रमों का संचालन महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी ने किया। राष्ट्रीय रामायण मेले को सफल बनाने में शिवमंगल शास्त्री, राजाबाबू पांडेय, प्रद्युम्न कुमार दुबे उर्फ लालू भैया, आशीष पांडेय, राजेन्द्र मोहन त्रिपाठी, शैलेन्द्र करवरिया, मो. यूसुफ सिद्दीकी, मनोज गर्ग, प्रिंस करवरिया, डा. घनश्याम अवस्थी, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, सत्येन्द्र पांडेय, कलीमुद्दीन बेग, मंसूर अली, मो इम्त्याज, दद्दू महराज, विकास रैकवार, लवकुश कुशवाहा, नत्थू प्रसाद सोनकर आदि का सराहनीय योगदान रहा।