शहर में धीमी तो बिलारी में तेज रह चुकी हाथी की चाल

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शहर में धीमी तो बिलारी में तेज रह चुकी हाथी की चाल

शहर में धीमी तो बिलारी में तेज रह चुकी हाथी की चाल


मुरादाबाद। 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की सभी छह सीटों में से मुरादाबाद देहात सीट को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी अन्य सभी सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी। सर्वाधिक 26.61 प्रतिशत मत उसे बिलारी विधानसभा क्षेत्र में मिले थे। भाजपा 31.23 फीसदी मत प्राप्त कर वहां दूसरे और 44.23 प्रतिशत मत प्राप्त कर सपा पहले स्थान पर रही थी। शहर और उससे सटे मुरादाबाद देहात विधानसभा क्षेत्र में बसपा को सबसे कम 8.91 और 9.06 प्रतिशत मत ही प्राप्त हो सके थे। पिछले दो चुनावों के परिणामों पर अगर नजर डाले तो सपा और भाजपा के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है, वहीं बसपा का वोट बैंक कम हुआ है।

2012 में हुए विधानसभा चुनाव में मुरादाबाद शहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को 68103 मत प्राप्त हुए थे जो कुल मतदान का 32.52 फीसदी था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर था। 2017 में भाजपा को 123467 मत प्राप्त हुए जो कुल मतदान का 44.60 फीसदी था। इस तरह शहर सीट पर भाजपा 12.08 फीसदी वोटों का इजाफा कर नंबर वन पार्टी बन गई। बीते दो साल में सपा के वोट बैंक में भी इजाफा हुआ है। 2012 में 88341 मत प्राप्त कर सपा पहले स्थान पर रही थी। उसे कुल मतदान का 42.18 फीसदी वोट मिला था। 2017 में सपा प्रत्याशी हार भले ही गया, लेकिन इस बार उसे कुल मतदान का 43.45 प्रतिशत वोट मिला। इस तरह हार के बावजूद सपा के वोट बैंक में भी 1.27 फीसदी का इजाफा हुआ। बसपा उम्मीदवार को शहर विधान सभा सीट पर 2012 में 15.63 फीसदी वोट जहां मिले थे वहीं 2017 में मात्र 8.91 फीसदी मत ही प्राप्त हो सके थे। इस तरह बसपा का वोट बैंक 6.72 फीसदी कम हुआ है। 2012 में कांग्रेस को कुल 6.01 फीसदी मत ही प्राप्त हो सके थे। 2017 में कांग्रेस-सपा गठबंधन में शहर सीट सपा के खाते में गई थी।

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में हाथी की चाल न सिर्फ पिछले चुनावों की अपेक्षा धीमी रही बल्कि जिले की शहर और देहात विधानसभा सीटों पर कुल मतदान का दस फीसदी वोट भी नहीं मिल सका था। शहर सीट पर बसपा को 8.91 तो देहात सीट पर कुल 9.06 फीसदी मत ही प्राप्त हो सके थे। बिलारी विधानसभा क्षेत्र में हाथी की चाल बेहतर रही थी। वहां उसके उम्मीदवार को 26.61 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन वर्ष 2012 के चुनाव की अपेक्षा वहां भी बसपा को 2.07 फीसदी, कांठ में 0.41 फीसदी, कुंदरकी में 0.58 फीसदी वोट 2012 की अपेक्षा कम मिले थे। 2017 में ठाकुरद्वारा में बसपा का प्रदर्शन कुछ बेहतर रहा था। वहां उसे 2017 में 15.53 फीसदी मत मिले थे, जो 2012 की अपेक्षा 3.56 फीसदी अधिक थे।
2022 का चुनावी समीकरण कुछ अलग है। वर्तमान में जिले की छह सीटों में से दो सीटों पर भाजपा तथा चार पर सपा का कब्जा है। सपा और भाजपा के सामने अपनी इस बढ़त को बरकरार रखना जहां चुनौती होगी वहीं बसपा के साथ-साथ इस चुनाव में पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस समेत अन्य दलों को भी अपनी स्थिति उपरोक्त पार्टियों से बेहतर बनाने के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपने वोट बैंक में खासा इजाफा करना होगा।

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