मनसा देवी में अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट ने शासन, वन विभाग, निगम व निरंजनी अखाड़ा से मांगा जवाब

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मनसा देवी में अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट ने शासन, वन विभाग, निगम व निरंजनी अखाड़ा से मांगा जवाब

मनसा देवी में अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट ने शासन, वन विभाग, निगम व निरंजनी अखाड़ा से मांगा जवाब


हरिद्वार। हाई कोर्ट ने हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में किए गए अवैध निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार, वन विभाग, नगर निगम हरिद्वार, सचिव निरंजनी अखाड़ा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी रमेश चन्द्र शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि मनसा देवी मंदिर को 1940 में अंग्रेजों ने जनता के लिए खोल दिया था। उसके बाद इस मंदिर में सरस्वती देवी नाम को महिला रहने लगी। इस महिला ने 82 वर्ष की उम्र में हरिद्वार के कुछ लोगो के हित मे वसीयत कर दी, जबकि वन विभाग ने इस महिला के हित मे कोई पट्टा नही किया था।

कुछ समय बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव महेंद्र गिरी ने फर्जी दस्तावेज बनाकर इसे ट्रस्ट घोषित कर दिया। फारेस्ट ने जो भूमि मंदिर के लिए दी थी उस पर अखाड़ा द्वारा तीस कमरे, गोदाम, दुकान व भंडार गृह बना दिए। इसके अलावा उनके द्वारा रिजर्व फारेस्ट की भूमि पर भी कब्जा कर दुकानें बना डाली।

याचिकाकर्ता का कहना है कि मंदिर परिसर में इतना अधिक निर्माण करने से इस क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना बढ़ चुकी है इसलिए इस क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे किया जाय। अवैध रूप से बने सभी निर्माण कार्यो को ध्वस्त किया जाय। इससे कि मनसा देवी क्षेत्र का भूस्खलन को रोका जा सके।

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