ओलंपिक के 'दंगल' में विनेश फोगाट पहलवानी करके मेडल जीत पाएंगी?

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ओलंपिक के 'दंगल' में विनेश फोगाट पहलवानी करके मेडल जीत पाएंगी?

ओलंपिक के 'दंगल' में विनेश फोगाट पहलवानी करके मेडल जीत पाएंगी?


पब्लिक न्यूज डेस्क। भारतीय महिला खिलाड़ी विनेश फ़ोगाट कुश्ती में ओलंपिक पदक की बड़ी दावेदार हैं.

पिछले कुछ महीनों की बात करें, तो विनेश ने कुश्ती के बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतकर और नंबर वन रैंकिंग हासिल कर अपने इरादे पहले ही ज़ाहिर कर दिए हैं.

हालांकि फ़्लैशबैक में जाएँ, तो ये 2016 रियो ओलंपिक में ही उनका मेडल पक्का माना जा रहा था.

2016 में ओलंपिक के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर जहाँ एक तरफ़ जहाँ ढोल नगाड़ों के साथ दूसरे खिलाड़ियों का स्वागत हो रहा था, वहीं व्हील चेयर पर बैठी विनेश लगभग रुआंसी थीं.

टोक्यो ओलंपिक के बीच 2016 में रियो ओलंपिक का वो दिन याद आता है. पहलवान विनेश फ़ोगट का मुकाबला चल रहा था चीन की सन यान से.

विनेश अच्छे फ़ॉर्म में थीं और सब पदक की आस लगाए बैठे थे लेकिन उसी दौरान विनेश घायल हो गईं. दाएँ घुटने पर चोट इतनी ज़बरदस्त थी कि कराहती-सुबकती विनेश को स्ट्रेचर पर उठाकर ले जाना पड़ा.

उसी समय अंदर साक्षी मलिक अपने कांस्य मुक़ाबले की तैयारी कर रही थीं जिसे साक्षी ने जीता भी.

जहाँ सब साक्षी को ओलंपिक पदक की बधाई दे रहे थे वहीं विनेश का सपना टूट चुका था. लेकिन उस घायल अवस्था में भी डॉक्टरों ने विनेश से कहा था कि मांसपेशियाँ इतनी मज़बूत हैं कि अगर डॉक्टरी सलाह मानी तो पाँच महीने में सब ठीक हो जाएगा.

ह्वीलचेयर पर बैठकर अर्जुन पुरस्कार लेती विनेश फोगाट

2016 की निराशा से उम्मीद भरे टोक्यो ओलंपिक तक

जब 2017 में विनेश को अर्जुन पुरस्कार मिलना था तो उनके मन में सवाल यही था कि कैसे वो व्हीलचेयर पर बैठकर अवॉर्ड लेंगीं.

रोज़ाना इसी तरह के नकारात्मक ख़यालों से लड़ते हुए आख़िरकर विनेश ने दोबारा प्रैक्टिक्स शुरू की और उनका ट्वीट था- छह महीने के ग़ुस्से, आँसुओं, धैर्य, शंकाओं और मेहनत के बाद दोबारा...

बीबीसी से बातचीत में विनेश ने बताया था, "रियो ओलंपिक में घायल होने के बाद कई बार ऐसा लगा कि करियर ख़त्म हो गया है. मैं ख़ुद से पूछती थी कि आख़िर मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ? मैं ख़ुद से बात करती थी और मैंने समझाया कि दूसरा मौका सबको नहीं मिलता. और अब जब ओलंपिक में दूसरा मौक मिला है तो सपना पूरा करना है."

सपना पूरा करने की यही ज़िद विनेश को 2016 से टोक्यो ओलंपिक तक लेकर आई है.

ताऊ जी की सख़्त ट्रेनिंग और मां की मशक्कत

बचपन के किस्सों को याद कर विनेश बताती हैं, "गाँव में ताऊ जी हम बहनों को बचपन से ही पहलवानी की ट्रेनिंग देते थे. एक ही बात कहते थे कि ओलंपिक मेडल जीतना है. हम बच्चे तंग आ जाते थे और सोचते थे कि आख़िर ये ओलंपिक होती क्या चीज़ है और मिल जाए तो पूछें."

आज विनेश ओलंपिक मेडल जीतने की बड़ी दावेदार हैं. दुनिया में नंबर वन हैं.

विनेश के ताऊ महावीर फोगाट ने उनकी ट्रेनिंग और करियर की नींव रखी और उनकी सख़्त ट्रेनिंग के किस्से मशहूर हैं. वहीं, विनेश की मेहनत में उनकी माँ की मशक्कत भी रची बसी है.

एक सिंगल माँ के तौर पर उनके लिए विनेश को गाँव में पालना एक बड़ी चुनौती थी जहाँ अक्सर उन्हें सुनना पड़ता था कि बिन बाप की बच्ची है तो ब्याह कर देना चाहिए या फिर ये कि इतनी छोटी निक्कर पहनकर क्यों बेटी घूमती है?

हँसमुख विनेश की मुस्कान बनेगा टोक्यो?

वैसे मैदान पर सामने वाले के पसीने छुड़ाने वाली विनेश के बारे में मशहूर हैं कि वो हँसती बहुत हैं-हर वक़्त, हर जगह.

और आज तो इस खिलाड़ी के पास मुस्कुराने, हँसने की हर वो वजह है-आख़िर कितने खिलाड़ियों को ये नसीब होता है कि उनके नाम के साथ लिखा जाए ओलंपिक पदक विजेता- विनेश फोग़ाट, अगर वो इस बार ओलंपिक पदक जीत लेती हैं तो.

वैसे, ओलिंपक के अलावा एक सपना और है विनेश का. विनेश अच्छी ख़ासी फू़डी हैं. उन्होंने मुझे बताया था, "मैं हर मुमकिन खाना टेस्ट करना चाहती हूँ. मेरे सपनों में से एक सपना है कि मैं पूरी दुनिया घूमूँ और हर तरह के व्यंजन खा डालूँ."

उम्मीद है ओलंपिक पदक जीतने के साथ साथ विनेश का जापान घूमने और जापानी डिश खाने का सपना भी पूरा होगा.

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