टेनिस के सपने के लिए माता-पिता ने छोड़ा देश

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टेनिस के सपने के लिए माता-पिता ने छोड़ा देश

टेनिस के सपने के लिए माता-पिता ने छोड़ा देश


पब्लिक न्यूज डेस्क। भारत के महज 10 साल के वेदांत मोहन (Vedant Mohan) ने क्रोएशिया में हुए चैंपियंस बाउल वर्ल्ड फाइनल्स (Champions Bowl World Finals) में रनरअप रहकर वहां मौजूद सभी लोगों को हैरान रह कर दिया. वह फाइनल में स्पेन के राफेल पैगोनिस से हारे थे. राफेल के साथ ही उन्होंने डबल्स खिताब जीता था. चैंपियंस बाउल यूरोप का एक बड़ा अंडर10 टेनिस टूर्नामेंट है. वेदांत पिछले कुछ समय से स्पेन में ट्रेनिंग कर रहे हैं. यहीं पर रिजनल और नेशनल चैंपियनशिप (National Championship) जीतने के बाद उन्होंने इस टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया.

अंडर10 की रैकिंग का बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिलता है. लोगों को इसके बारे में जानकारी भी कम होती है. उमग में हुए इस बड़े टूर्नामेंट में आने के लिए सभी खिलाड़ियों को अपने-अपने देशों के दो टाइर इवेंट में खेलना पड़ता है. वेदांत स्पेन में सोटो टेनिस अकेडमी में डेनियल कियरनन (Daniel Ke के साथ ट्रेनिंग करते हैं. उनके पिता पायलट थे लेकिन अपनी नौकरी खोने के बाद वह स्पेन में बस गए थे. माता-पिता के मुश्किल फैसलों की वजह से ही वेदांत को विदेशों में ट्रेनिंग करने का मौका मिला. वेदांत का सपना है कि टेनिस में बड़ी कामयाबी हासिल करें और इसके लिए उनके माता-पिता हर मुश्किल का सामना करने को तैयार है.

वेदांत के माता पिता ने बेटे के लिए मुश्किल फैसले

वेदांत के माता-पिता अनिशा और ध्रुव दोनो ही सेन्य पृष्ठभूमि से आते हैं. अपने बेटे की प्रतिभा को संवारने के लिे उन्होंने दुनिया भर के कोचेज से बात की थी. इन लोगों में जॉन मैकएनरो की न्यूयॉर्क में स्थित टेनिस अकेडमी भी थी. 13 महीने पहले उन्होंने फैसला किया कि वह सोटो टेनिस अकेडमी में बेटे को ट्रेन करवाएंगे. वह उस समय मस्कट में रहते थे और वहां से उन्होंने स्पेन जाने का फैसला किया.

उधार के पैसों से घर चला रहे हैं वेदांत के माता-पिता

हालांकि उनके लिए यह आसान नहीं था. दोनों के पास नौकरी नहीं थी और उनके पास जो सेविंग्स थी उससे भी वह लंबे समय तक खर्च नहीं चला सकते थे. उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अब तक उन्होंने अपने भाई-बहनों और माता-पिता से उधार लेकर अपना खर्च चलाया है. हालांकि वह अब भी सोटो टेनिस अकेडमी के हजारों यूरो के उधार में है. हालांकि उन्हें लगता है कि वेदांत की सफलता इन सभी मुश्किलों का फल है.

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