गर्भपात निरोधक दवा से रहें सावधान, बच्चे में ताउम्र बना रहता है कैंसर का दोगुना जोखिम

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गर्भपात निरोधक दवा से रहें सावधान, बच्चे में ताउम्र बना रहता है कैंसर का दोगुना जोखिम

गर्भपात निरोधक दवा से रहें सावधान, बच्चे में ताउम्र बना रहता है कैंसर का दोगुना जोखिम


पब्लिक न्यूज डेस्क। आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली कई ऐसी दवाएं हैं, जिनका दूरगामी दुष्प्रभाव होता है। इसीलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि कोई भी दवा विशेषज्ञों की सलाह से ही ली जानी चाहिए। ऐसे ही एक मामले में ह्यूस्टन स्थित यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के विज्ञानियों ने नया शोध किया है। इसमें पाया गया है कि आमतौर पर गर्भपात या समय पूर्व बच्चे का जन्म रोकने के लिए दी जाने वाली एक दवा का गर्भाशय पर प्रतिकूल असर होता है, जिससे बच्चे को ताउम्र कैंसर का जोखिम सामान्य बच्चों की तुलना में दोगुना बना रहता है। यह निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल आफ अब्स्टेटिक्स एंड गाइनकोलाजी में प्रकाशित हुआ है।

17-ओएचपीसी नामक यह दवा एक सिंथेटिक प्रोजेस्टोजन है, जो पिछली शताब्दी के मध्य से लेकर अब भी समय पूर्व प्रसव रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। प्रोजेस्टेरोन गर्भावस्था के दौरान पेट बढ़ाने में मदद करने के साथ ही प्रारंभिक संकुचन की रोकथाम करता है। संकुचन की वजह से ही गर्भपात का खतरा बढ़ता है। इस अध्ययन की लेखिका केटलीन सी. मर्फी ने बताया कि जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान इस दवा का इस्तेमाल किया, उनके बच्चों में यह दवा नहीं लेने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में ताउम्र कैंसर का खतरा दोगुना बना रहता है।

इसी के मद्देनजर शोधकर्ताओं ने जून 1959 से जून 1967 के बीच एक योजना के तहत जिन महिलाओं ने प्रसव-पूर्व देखरेख की सेवाएं लीं, उनके डाटा के साथ ही कैलिफोर्निया कैंसर रजिस्ट्री के डाटा का भी विश्लेषण किया। यह रजिस्ट्री बच्चों में कैंसर लेखा-जोखा रखा जाता है।

दवा का दुष्प्रभाव जानना जरूरी। फाइल फोटो

विश्लेषण का निष्कर्ष

शोधकर्ताओं ने पाया कि जीवित जन्मे 18,751 बच्चों में से 1,008 में शून्य से लेकर 58 वर्ष तक की उम्र में कैंसर की पहचान की गई। इनमें से 234 लोग ऐसे थे, जिनकी माताओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान 17-ओएचपीसी दवा ली थी। वयस्क होने पर कैंसर ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या दोगुनी थी, जो गर्भावस्था के दौरान इस दवा के संपर्क में आए थे। खास बात यह कि 65 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से कम उम्र में ही कैंसर पीड़ित हुए। मर्फी ने बताया कि हमारे अध्ययन का निष्कर्ष इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान इस दवा के इस्तेमाल से बच्चों का शुरुआती विकास बाधित होता है, जिससे दशकों बाद कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में सिंथेटिक हार्मोन का असर भी देखने को मिला। जो प्रतिक्रिया या प्रक्रिया हमारे साथ गर्भ में होता है, उसका असर जन्म के दशकों बाद कैंसर के बढ़े जोखिम के रूप में दिखता है। इतना ही नहीं, औचक ट्रायल में यह भी पाया गया कि 17-ओएचपीसी का कोई लाभ नहीं होता है और यह समय पूर्व प्रसव का जोखिम भी कम नहीं करता है। इन्हीं कारणों से अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अक्टूबर 2020 में इस दवा को बाजार वापस लेने का प्रस्ताव दिया था।

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