सीमा विवाद का दंश झेल रहे युवा: प्रमाणपत्र न बनने से टूट रहा सरकारी नौकरी पाने का सपना

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सीमा विवाद का दंश झेल रहे युवा: प्रमाणपत्र न बनने से टूट रहा सरकारी नौकरी पाने का सपना

सीमा विवाद का दंश झेल रहे युवा: प्रमाणपत्र न बनने से टूट रहा सरकारी नौकरी पाने का सपना


सहारनपुर। सहारनपुर के छुटमलपुर की दो कॉलोनियों के रहने वाले युवाओं में किसी को यूपी पुलिस का फॉर्म भरना है तो किसी को अन्य प्रतियोगी परीक्षा का फॉर्म भरना है लेकिन लेखपाल न तो जाति प्रमाण पत्र बनाकर दे रहे हैं और न ही मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने को तैयार हैं। ऐसे में सरकारी नौकरियां करने का युवाओं का सपना टूट रहा है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कभी छुटमलपुर का हिस्सा रही महाराणा प्रताप कॉलोनी के युवाओं को जाति और निवास प्रमाणपत्र बनवाने के लिए भटकना पड़ रहा है। इनके आधार कार्ड और अन्य प्रपत्रों में पता बेहट तहसील के छुटमलपुर का है, जबकि यह निवास करते हैं सदर तहसील के गांव नानका के रकबे में। आधार कार्ड के पते को साक्ष्य मानकर नानका में इनका निवास सहित कोई भी प्रमाणपत्र नहीं बन रहा है, जबकि छुटमलपुर के लेखपाल इस आधार पर इनके प्रमाणपत्र नहीं बना रहे कि यह नानका के बाशिंदे हैं।

छुटमलपुर के विकास के क्रम में यहां की आबादी पड़ोसी गांवों के रकबे में भी बसती चली गई। छुटमलपुर की महाराणा प्रताप कॉलोनी और हरनाम सिंह नगर के निवासी बोलचाल में तो छुटमलपुर के रहने वाले हैं, लेकिन ये दोनो कॉलोनियां राजस्व अभिलेखों में सदर तहसील के नानका गांव का हिस्सा हैं। पांच साल पहले तक इनके सभी प्रमाणपत्र छुटमलपुर के पते पर बन जाते थे।

ऐसे में इनके आधार कार्ड, डीएल, वोटर आईडी सहित सभी प्रपत्र छुटमलपुर के पते पर बने हैं, लेकिन पिछले पंचायत चुनावों में इनके वोट नानका की वोटर लिस्ट में जुड़ने के बाद छुटमलपुर के पते पर इनके प्रमाणपत्र बनने बंद हो गए। इसका खामियाजा नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। कॉलोनी के अंकित कुमार, शुभम धीमान, साक्षी शर्मा, प्रियांशी, राहुल, अश्वनी, चींटू, ब्रजभान, सार्थक शर्मा, दिव्या सैनी, हिमांशु सैनी, पूजा, शुभम, अंशुल आदि ने डीएम को पत्र भेज कर प्रमाणपत्र बनवाए जाने की मांग की है।

वर्ष 2017 में छुटमलपुर के पते पर बने थे प्रमाणपत्र
महाराणा प्रताप कॉलोनी निवासी राहुल सैनी का कहना है कि वर्ष 2017 में उसके छुटमलपुर के पते पर जाति और निवास प्रमाणपत्र बना दिए गए थे, लेकिन अब छुटमलपुर और नानका दोनों जगहों के लेखपालों ने प्रमाणपत्र बनाने से मना कर दिया है। उसे यूपी पुलिस का फार्म भरना है। 28 फरवरी आखिरी तारीख है। प्रमाणपत्रों के अभाव में वह फार्म ही नहीं भर पाएगा।

एक-दूसरे के पास भेज पल्ला झाड़ रहे लेखपाल
इसी कॉलोनी के शुभम धीमान ने बताया कि उसे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का फॉर्म भरना है। अंतिम तिथि 4 मार्च है। वह पिछले एक माह से दोनों जगह के लेखपालों के पास चक्कर काट कर थक चुका है। दोनों एक दूसरे के पास भेज कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

नानका के निवासी वे नहीं लगा सकते रिपोर्ट
छुटमलपुर के लेखपाल हरिओम चौहान का कहना है कि महाराणा प्रताप कॉलोनी पड़ोसी गांव नानका के रकबे में बसी है। नानका सदर तहसील का गांव है। ऐसे में उनके प्रमाणपत्र भी सदर तहसील से ही बनेंगे। भले ही उनके पास छुटमलपुर के पते के आधार कार्ड क्यों न हों। 

पते का प्रमाण छुटमलपुर का, नानका में कैसे बनाएं निवास प्रमाणपत्र
जयरामपुर उर्फ नानका के लेखपाल अजय कुमार का कहना है कि आवेदन कर्ताओं के पास पते के सभी प्रमाण छुटमलपुर के हैं। ऐसे में यदि वे उनके प्रमाणपत्र साइट पर अपलोड करते हैं तो पता छुटमलपुर तहसील बेहट होने के कारण रिजेक्ट हो जाते हैं। पहले उन्हें अपने आधार कार्ड और अन्य प्रपत्रों में नानका का पता दर्ज कराना होगा।

अभ्यर्थी प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अपने मकान की रजिस्ट्री की फोटो कापी लगाएं। जो किराएदार हैं वे मकान मालिक से किए गए एग्रीमेंट की कापी सबमिट करें। ताकि यह जस्टीफाई हो सके कि वे नानका के निवासी हैं। उनके प्रमाणपत्र सदर तहसील से बना दिए जाएंगे।

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