श्रीराम की इन बातों में छिपा है जीवन का सच्चा सुख- इस दुखद वक्त में ऐसे करें याद

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श्रीराम की इन बातों में छिपा है जीवन का सच्चा सुख- इस दुखद वक्त में ऐसे करें याद

श्रीराम की इन बातों में छिपा है जीवन का सच्चा सुख- इस दुखद वक्त में ऐसे करें याद


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। भगवान राम ने ऐसे मूल्यों की स्थापना की जो व्यक्ति के चरित्र का तो निर्माण करते ही हैं, साथ-साथ समाज और एक श्रेष्ठ राष्ट्र का भी निर्माण करते हैं। इसीलिए भगवान राम आदर्श हैं क्योंकि उनका संपूर्ण जीवन दूसरों के हितों की रक्षा करने के लिए समर्पित रहा है। भगवान श्रीराम का अचारण सभी को प्रेरित करता है। भगवान राम की अनमोल बातों में ही जीवन का सच्चा सुख छिपा हुआ है, आप भी जानें-

परहित बस जिन्ह के मन माही। 
तिन्ह कहुँ जग दुर्लभ कुछ नाही। 

रामचरित मानस की इस चौपाई का अर्थ है- जिसके मन में सदैव दूसरे का हित करने की अभिलाषा रहती है, जो सदैव दूसरों की सहायता करने में लगे रहते हैं, उनके लिए संपूर्ण जगत में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। वर्तमान समय में भगवान राम की इस बात का महत्व बढ़ जाता है। आज सभी को एक दूसरे की जरूरत है। इसलिए मदद के लिए उठ खड़ें हो। भगवान राम की यह चौपाई यही संदेश प्रदान करती है।

को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेदु समुझिहहिं साधू॥
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना॥

प्रभु श्रीराम कहते हैं कि इन नाम और रूप में किसे छोटा और किसे बड़ा कहूं। दोनों की महिमा अपरंपार है। अत: मैं इस घोर अपराध से बचता हूं। नाम और रूप का रिश्ता समझकर साधु पुरुष स्वयं ही जान लेंगे। रूप नाम के अधीन है लेकिन नाम के बिना रूप का ज्ञान संभव नहीं है। इसलिए इस भेद में पड़ना व्यर्थ है। भगवान राम की शिक्षाएं पग-पग पर व्यक्ति को कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए भगवान राम की इन बातों को जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।

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