सीबीआइ-ईडी निदेशकों के कार्यकाल विस्तार पर सियासी जंग तय, विपक्षी दलों ने संसद में सरकार को घेरने का किया एलान

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सीबीआइ-ईडी निदेशकों के कार्यकाल विस्तार पर सियासी जंग तय, विपक्षी दलों ने संसद में सरकार को घेरने का किया एलान

सीबीआइ-ईडी निदेशकों के कार्यकाल विस्तार पर सियासी जंग तय, विपक्षी दलों ने संसद में सरकार को घेरने का किया एलान


पब्लिक न्यूज डेस्क। सीबीआइ और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल दो से बढ़ाकर पांच साल करने संबंधी दो अध्यादेशों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंचनी तय हो गई हैं। विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए संसद से सड़क तक अध्यादेश का जोरदार विरोध करने का एलान किया है। यानी नवंबर के आखिर में शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र के दौरान सियासी गर्मी चरम पर होगी। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों ने यह भी संकेत दिया है कि अगर बहुमत के बल पर सरकार संसद से इन दोनों अध्यादेशों को पारित कराती है तो विपक्ष इनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाने को तैयार है।

विपक्षी लामबंदी तेज 

कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने संसद में एकजुट होकर विरोध करने के लिए बातचीत शुरू भी कर दी है। कांग्रेस ने कहा है कि शीत सत्र से महज 14 दिन पहले अध्यादेश के जरिये दो प्रमुख जांच एजेंसियों के निदेशकों को सेवा विस्तार देने के कदम से साफ है कि सरकार इनका विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल करते रहना चाहती है।

मनीष तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी 

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि संसद सत्र से ठीक पहले अध्यादेश लाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है जिसमें उसने सेवा विस्तार की सख्त मनाही की है। यह सर्वोच्च अदालत की अवमानना है। साथ ही संसद की अनदेखी कर लोकतंत्र और संविधान का मखौल उड़ाया गया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सभी विपक्षी दलों को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

विरोध करने की चेतावनी 

सिंघवी ने कहा कि अध्यादेश में एक-एक साल के तीन विस्तार का प्रविधान किया गया है। इसका आशय है कि सीबीआइ और ईडी निदेशक सत्ता शीर्ष के राजनीतिक मनमाफिक काम करेंगे तभी उन्हें अगला सेवा विस्तार मिलेगा। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि संसद में अध्यादेश के खिलाफ दूसरे विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार की मंशा का न केवल पर्दाफाश किया जाएगा बल्कि इसका कड़ा विरोध भी होगा।

खड़गे ने उठाए यह सवाल 

राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संविधान से ज्यादा महत्वपूर्ण भाजपा का राजनीतिक हित हो गया है। उन्होंने मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल में अब तक 83 अध्यादेश लाए जाने पर भी सवाल उठाया। संसद में संग्राम का संकेत तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी दिया और इस पर विपक्षी दलों के एकजुट होने की बात कही।

रणनीति को लेकर चर्चा शुरू 

डेरेक ने कहा कि विपक्षी दल देश को निर्वाचित तानाशाही में तब्दील नहीं होने देंगे और मिलकर इसका विरोध करेंगे। उन्होंने पुष्टि की कि इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच संयुक्त रणनीति को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को दोनों अध्यादेशों के खिलाफ राज्यसभा में वैधानिक नोटिस देकर इस मुद्दे पर अपने आक्रामक तेवरों को साफ भी कर दिया। द्रमुक, राजद, सपा और वामपंथी दलों ने भी अध्यादेशों का जोरदार विरोध करने के इरादे साफ कर दिए हैं। 

इसी तरह के आरोपों के मंतर ने किया कांग्रेस को छूमंतर : नकवी

सीबीआइ और ईडी निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए लाए गए अध्यादेशों की कांग्रेस द्वारा आलोचना पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि ऐसी नकारात्मक और विनाशकारी राजनीति करने वाले सिर्फ अपना नुकसान करते हैं। उन्होंने कहा, 'इसी तरह के आरोपों के मंतर ने कांग्रेस को छूमंतर कर दिया।'

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