पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की वजह आगामी विधानसभा चुनाव कतई नहीं
पब्लिक न्यूज डेस्क। केंद्र सरकार ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की है। हालांकि सरकार के इस फैसले को राजनीति के चश्मे से देखा जा रहा है, क्योंकि आगामी महीनों में कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और कहा जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार चुनावी मौसम में वोट की खातिर हर बार तेल की कीमतों में कटौती करती है। वैसे, उपलब्ध आंकड़ों से यह कुछ हद तक सही भी प्रतीत होता है, लेकिन इस बार सरकार के इस निर्णय के पीछे आगामी महीनों में होने वाला विधानसभा चुनाव तो कतई नहीं है।
भले ही सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क कम करने से फिलवक्त पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ कमी आई है, लेकिन आगामी महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से वृद्धि होने की संभावना कायम है, क्योंकि भारत कुल कच्चे तेल उपयोग का 86 प्रतिशत तेल आयात करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। इतना ही नहीं, एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये प्रति बैरल तक बढ़ सकती है।
देखा जाए तो तेल की कीमत को नियंत्रित करना बहुत हद तक सरकार के हाथ में नहीं है। जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन आएगा, तेल की कीमत में बढ़ोतरी होगी। तेल की बढ़ी कीमत का एक दूसरा बड़ा कारण इस क्षेत्र में निवेश की कमी का होना है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। बेशक, कोरोना वायरस का प्रकोप कम होने से अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर तेजी से सुधार हो रहा है। राजस्व में भी बढ़ोतरी हो रही है, जिससे राजकोषीय घाटा में कमी आ रही है। साथ ही सरकारी खर्च में वृद्धि हो रही है, जिससे विविध उत्पादों व वस्तुओं की मांग में तेजी आ रही है और लोगों को भी फिर से रोजगार मिलने लगे हैं।
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