पोषण के लिए जरूरी है संतुलित आहार: सीएमओ

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पोषण के लिए जरूरी है संतुलित आहार: सीएमओ

पोषण के लिए जरूरी है संतुलित आहार: सीएमओ


मुजफ्फरनगर। कुपोषण ऐसी समस्या है जिसे लोग अभी तक समझ ही नही पाए हैं। यह केवल गरीब और सामाजिक तौर पर वंचित वर्ग में ही नही होती है। पढ़े लिखे और समृद्ध परिवारों के बच्चे भी कुपोषण का शिकार होते हैं।

यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एम.एस. फौजदार ने  सेंटर फार एडवोकेसी एण्ड रिसर्च द्वारा बुधवार को शहर के एक होटल में आयोजित पोषण पर मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने बताया कि संतुलित आहार से कुपोषण से बचा जा सकता है, लेकिन समुदाय को मालूम ही नही है, संतुलित और पोषक आहार होता क्या है। उनके अनुसार फास्ट फूड और मोबाइल फोन के कारण बच्चे आहार और धूप से मिलने वाली शक्ति से वंचित हो रहे हैं। डॉ. फौजदार ने कहा कि घर का बना खाना, मौसमी फल और सब्जियां स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर होते हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण से बचाव के लिए सरकार कई कार्यक्रम चला रही है। इन कार्यक्रमों को समुदाय तक पहुँचाने में मीडिया अहम कड़ी है और कार्यक्रम का क्रियान्वयन तभी सफल होगा जब लाभार्थी तक उसकी जानकारी पहुंचेगी।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी  डॉ. प्रशांत कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि दस्त जैसी बीमारी भी स्वस्थ बच्चों को कुपोषित कर सकती है। इसीलिए स्तनपान और टीकाकरण भी बच्चे के लिए जरूरी है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश गौड़ ने कहा कि बचपन सेहत की आधारशिला होती है और बचपन की शुरुआत उसी दिन से हो जाती है जिस दिन मां के गर्भ में बच्चा आता है। इसीलिए शुरुआती 1000 दिन बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, इनमें मां के गर्भ के 270 दिन और जन्म के बाद के 730 दिन आते हैं। सुपोषण की शुरुआत भी गर्भधारण के साथ ही करनी होती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह मनाया जाने वाला कार्यक्रम गोदभराई दिवस इस सोच को जन समुदाय तक पहुंचाने का प्रयास है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी संतोष शर्मा ने स्तनपान की महत्ता बताई। उन्होंने कहा शिशु को पहले छह माह केवल स्तनपान कराएं। पानी भी न दें। उन्होंने कहा कि जन्म के समय यदि बच्चे का वजन कम भी हो और उसे छह माह तक केवल स्तनपान ही कराया जाए तो भी छह माह बाद उसका वजन सामान्य हो जाता है। बाजार में बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए तमाम उत्पाद बिक रहे हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नही कि शिशु के लिए मां के दूध के मुकाबले कुछ भी बेहतर नही हो सकता। सीडीपीओ राहुल गुप्ता ने पोषण पर जागरूकता के लिए जनभागीदारी और संवाद पर बल दिया। पोषण पुनर्वास केंद्र एनआरसी की प्रभारी डा. आरती नंदवार ने पोषण पुनर्वास केंद्र के कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनपद में एनआरसी में 15 बिस्तर हैं। यहां 14 दिन तक  तीव्र अतिगंभीर कुपोषित बच्चों को भर्ती रखकर उनका उपचार किया जाता है।

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