जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने की ट्रेनिंग देती है पाकिस्तानी सेना और आईएसआई

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जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने की ट्रेनिंग देती है पाकिस्तानी सेना और आईएसआई

जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने की ट्रेनिंग देती है पाकिस्तानी सेना और आईएसआई


जम्मू-कश्मीर। पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर ए ताइबा कश्मीर में जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने का जाल बुन रहे हैं। आतंकी संगठन मजबूर और गरीब तबके के युवाओं को टारगेट कर उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। यह खुलासा उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले बारामुला के उड़ी सेक्टर में दबोचे गए लश्कर के पाकिस्तानी आतंकी बाबर ने किया है।  

बाबर ने पूछताछ में बताया कि वह दीपालपुर का रहने वाला है। उसके परिवार में विधवा मां और एक गोद ली हुई बहन है। परिवार निम्न वर्ग से ताल्लुक रखता है जो बमुश्किल अपने दोनों वक्त की रोटी को पूरा कर पाता है। गरीबी से बचने के लिए उसने सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। आईएसआई और लश्कर के लिए काम करने वाले एक लड़के से सियालकोट में एक फैक्ट्री में काम करते हुए मुलाकात हुई थी। उसने बताया कि यतीम और जरूरतमंदों लड़कों को ही लश्कर में शामिल किया जाता है। बाबर के मुताबिक पिता का इंतकाल हो चुका था। घर में कमाने वाला अकेला था। इसलिए पैसों के लिए कश्मीर में जिहाद के लिए तैयार हो गया।

आत्मसमर्पण करने वाले आतंकी ने बताया कि अतीकुर रहमान उर्फ कारी आनस निवासी गांव पिंडी जिला अटॉक पंजाब (पाकिस्तान) ने उसे उसकी मां के इलाज के लिए 20 हजार रुपये दिए थे और उसे 30 हजार रुपये और देने का वादा किया था। बाकी का पैसा बारामुला के पट्टन में सप्लाई का सामान पहुंचाने के बाद सुरक्षित वापसी पर दिया जाना था।  

बाबर ने बताया कि पाकिस्तानी सेना के गड़ी हबीबुल्ला मुज्जफराबाद स्थित खैबर कैंप में फरवरी 2019 में उसे तीन हफ्ते की ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान कुल 9 पाकिस्तानी लड़कों को उसके साथ ट्रेनिंग दी गई थी। सभी को कश्मीर में जिहाद के लिए तैयार किया गया। पाकिस्तानी सेना के एक सूबेदार ने मिलिट्री ट्रेनिंग दी। उसने बताया कि शारीरिक और हथियार प्रशिक्षण के लिए नियोजित किए जाने वाले अधिकांश प्रशिक्षण पाकिस्तानी सेना के जवान देते हैं। उसके बाद 2021 में एक रिफ्रेशर ट्रेनिंग कोर्स कराया गया।

बाबर ने बताया कि भारतीय सेना ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया। मुझ पर कोई जुल्म नहीं किया। उसने पांच साथियों के साथ 18 सितबंर को एलओसी पर घुसपैठ करने की कोशिश की थी। भारतीय सेना ने देख लिया और हम पर फायरिंग कर दी। इस पर मेरे चार साथी वापस पाकिस्तान की तरफ  भाग गए। घुसपैठ के दौरान पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों पर फायरिंग भी की थी। मैं और मेरा साथी बचने के लिए भारतीय सीमा में एक नाले में कूद गए। उसने बताया कि मेरे साथी ने जवानों पर फायरिंग की। मेरा साथी जब मुठभेड़ में मारा गया तो मैं बहुत डर गया और मैंने जवानों से न मारने के लिए आवाज लगाई।

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