जान हथेली पर लेकर स्कूल जाते हैं मासूम, नदी पर पुल बनाने की ग्रामीण की लंबे समय से मांग

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जान हथेली पर लेकर स्कूल जाते हैं मासूम, नदी पर पुल बनाने की ग्रामीण की लंबे समय से मांग

जान हथेली पर लेकर स्कूल जाते हैं मासूम, नदी पर पुल बनाने की ग्रामीण की लंबे समय से मांग

एक तरफ देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। एक तरफ देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है। वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में कई गांव आज भी विकास की दौड़ में काफी पीछे हैं। इन्हीं में से यहां एक गांव है छिमोली, जहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी जान जोखिम में डाल कर नदी पार करनी होती है। इसी तरह का एक वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहा है। इसमें एक नाव पर बच्चे ठूंस ठूंसकर भरे है। यह स्थिति उस समय है जब इस नदी पर पुल बनाने के लिए ग्रामीण लंबे समय से मांग रहे हैं। 

ग्रामीणों के मुताबिक आजादी के बाद से ही इस नदी पर पुल बनाने की मांग चल रही है। लेकिन अब तक सुनवाई नहीं होने की दशा में छिमोली के लोगों को बाजार जाना हो या यहां के बच्चों को स्कूल, सभी को नाव से नदी पार कर के ही जाना होता है। जिले में मौदहा विकास क्षेत्र में स्थित इस गांव से सटकर चंद्रावल नदी बह रही है। गांव में आने जाने का मुख्य रास्ता ही यह नदी है। कई साल पहले यहां पुल का निर्माण कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हो सका है। 

ऐसे में गांव के वाशिंदे नदी पार करने के लिए बाढ़ की स्थिति में भी नाव में भूसे की तरह भर जाते हैं। वहीं, इस गांव के मासूम बच्चों को भी रोज इसी तरह से खतरा उठाते हुए नदी के इस पार के स्कूल में जाना होता है।  सबसे ज्यादा मुश्किल बरसात के मौसम में होती है। पांच वर्ष पूर्व ही यहां छात्रों से भरी नाव नदी में पलट गई थी। इसमें कई छात्र पानी के तेज बहाव में बह गए थे। वहीं कुछ बच्चों को बचा लिया गया था।  वायरल वीडियो को देखकर ही हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

वायरल हो रहा वीडियो

वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि नदी में पानी लबालब है। उसके बीच से नाव नदी पार कर रही है। इसमें 17 बच्चे ठूंसकर भरे हैं. ऐसे में बच्चों की छोटी सी लापरवाही उनकी जान पर भारी पड़ सकती है। इस नारव पर एक के ऊपर एक साइकिलें रखीं हैं। इन्हीं में से एक छात्र रिंकू ने बताया कि वह पिछले पांच साल से इसी तरह नदी पार कर स्कूल जाता है। कहा कि पिछले साल जिस नाव में वह नदी पार कर रहा था, डूबते डूबते बची थी। 

आलम यह है कि गांव में लोग रिश्ता करने से भी परहेज करते हैं। आजादी के 75 वर्ष बाद भी विकास से दूर इस गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान नेता विकास की घूंटी पिलाकर चले जाते हैं। जिससे यहां के ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।  हालात ऐसे बन गए हैं कि अब बाहर से गांव में रिश्ते तक नहीं आ रहे हैं।  इसके चलते कई लड़के कुंआरे बैठे हैं।