पंचतत्व में विलीन हुए Sharad Yadav, बेटे और बेटी ने एक साथ दी पिता को मुखाग्नि

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पंचतत्व में विलीन हुए Sharad Yadav, बेटे और बेटी ने एक साथ दी पिता को मुखाग्नि

पंचतत्व में विलीन हुए Sharad Yadav, बेटे और बेटी ने एक साथ दी पिता को मुखाग्नि

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का उनके गृह ग्राम आंखमऊ में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का उनके गृह ग्राम आंखमऊ में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया है, शरद यादव को उनके बेटे बेटी सुभासिनी और बेटे शांतनु ने एक साथ मुखाग्नि दी। इससे पहले उनकी पार्थिव देह को दिल्ली से भोपाल लाया गया, जहां सीएम शिवराज पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें श्रृद्धाजंलि अर्पित की।

पैतृक गांव में किया गया अंतिम संस्कार

शरद यादव के पार्थिव शरीर को आज दिल्ली से भोपाल लाया गया, जहां सीएम शिवराज सहित बीजेपी कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे, सभी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को श्रृद्धाजंलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान शरद यादव के बेटे शांतनु और बेटी सुभासिनी भी मौजूद रही। भोपाल से उनकी पार्थिव देह को तीन बजे नर्मदापुरम के माखननगर में स्थित उनके पैतृक गांव आंखमऊ लाया गया, जहां कुछ देर बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ शरद यादव को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया।

सीएम ने शरद यादव की पत्नी और बच्चों से की मुलाकात

जैसे ही उनकी पार्थिव देह भोपाल पहुंची तो सीएम शिवराज ने पत्नी डॉ. रेखा और बेटी सुभाषिनी परिवार के अन्य लोगों से मुलाकात की, जहां उनकी पत्नी सीएम से मिलते ही रोने लगी। सीएम ने परिजनों को ढांढस बधाते हुए उन्हें भोपाल से नर्मदापुरम रवाना किया। वहीं शरद यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आंखमऊ में लोगों की जमावड़ा लगा, मोदी सरकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी सहित कई बड़े नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे।

75 साल की उम्र में हुआ शरद यादव का निधन

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव का निधन 75 साल की उम्र में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में हुआ था। शरद यादव को बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनके निधन पर देशभर के नेताओं ने दुख जताया। शरद यादव मूल रूप से मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के आंखमऊ गांव के रहने वाले थे, जबकि उनकी राजनीतिक भूमि मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार रही।