अमित शाह बोले- नरेंद्र मोदी सरकार ने कभी जनता को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाईं

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अमित शाह बोले- नरेंद्र मोदी सरकार ने कभी जनता को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाईं

अमित शाह बोले- नरेंद्र मोदी सरकार ने कभी जनता को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाईं

अमित शाह ने केंद्र में रही पिछली सरकारों को एक बार फिर निशाने पर लिया है। नरेंद्र मोदी के


पब्लिक न्यूज़ डेस्क- अमित शाह ने केंद्र में रही पिछली सरकारों को एक बार फिर निशाने पर लिया है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस देश में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले वोट बैंक को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जाती थीं। नरेंद्र मोदी सरकार ने कभी जनता को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाईं, बल्कि जनता के भले के लिए नीतियां बनाईं, पूर्व की सरकारें हर कदम वोट बैंक की राजनीति से चलती थीं। मोदी सरकार के कुछ फैसले कठिन लग सकते हैं लेकिन ऐसे फैसले सिर्फ लोगों की भलाई के लिए हैं। वस्तु एवं सेवा कर GST और डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर DBT समेत सरकार की ओर से उठाये गये कुछ कदमों का हवाला देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इन फैसलों का विरोध स्पष्ट और समझ में आता है। जब हम GST लाते हैं, तो हमारा विरोध स्वाभाविक है। जब हम DBT तो बड़ा विरोध था। यह स्पष्ट था कि बिचौलिए इसे पसंद नहीं करेंगे। इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अगर आपको नीति को समझना है, तो नीतियां बनाते समय बुनियादी सिद्धांतों को भी समझना होगा। हमने नीतियां बनाते समय कभी वोट बैंक के बारे में नहीं बल्कि समस्या के समाधान के बारे में सोचा है। मोदी सरकार ने कभी भी समस्याओं को टुकड़ों में नहीं देखा है। हर स्तर पर अलग-अलग चुनौतियां होती हैं। अधिकारियों को अलग-अलग स्तरों से मिले सुझावों को अपने नजरिए से भी देखना होगा। उसके बाद उन्हें अपने क्षेत्र में सुशासन के मंत्र गढ़ने होंगे।

मीडिया का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार की अच्छी बातों को बिना किसी व्यक्तिगत विचारधारा के स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार की परवाह किए बिना अच्छी चीजों को स्वीकार किया जाना चाहिए। चाहे किसी भी विचारधारा की सरकार हो।अगर कोई पत्रकार खुले दिमाग से परिणामों को स्वीकार नहीं करता है, तो वह पत्रकार नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता है। एक कार्यकर्ता पत्रकार और एक कार्यकर्ता नहीं हो सकता है। पत्रकार एक्टिविस्ट नहीं हो सकता। दोनों अलग-अलग काम हैं। दोनों अपनी-अपनी जगह अच्छे हैं। लेकिन अगर दोनों एक-दूसरे का काम करने लगें तो दिक्कत होगी। आजकल ऐसा बहुत देखा जाता है।