मनीष गुप्ता हत्याकांड: हत्या की एफआईआर दर्ज

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मनीष गुप्ता हत्याकांड: हत्या की एफआईआर दर्ज

मनीष गुप्ता हत्याकांड: हत्या की एफआईआर दर्ज


पब्लिक न्यूज डेस्क। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की पुलिस की पिटाई से मौत के मामले में हत्या का केस दर्ज होने के बाद भी पुलिस की दिलचस्पी आरोपी की गिरफ्तारी में बिल्कुल नहीं है। सोशल मीडिया में पुलिस के इस रवैये पर तीखे शब्दबाणों की बारिश हो रही है। पुलिस पर आरोपी पुलिसकर्मियों को राहत पहुंचाने का आरोप लग रहा है। अन्य मामलों में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी करने वाली पुलिस इस मामले में साक्ष्य जुटाने का हवाला दे रही है।

वहीं, सोशल मीडिया में हैरानी जताई जा रही है कि मामले मैं सीधे सीएम योगी के हस्तक्षेप के बाद यह हाल है। कानूनी तर्क दिए जा रहे हैं कि जघन्य आपराधिक मामलों में आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी इसलिए की जाती है कि वे साक्ष्यों को नष्ट, प्रत्यक्षदर्शियों और तफ्तीश से जुड़े पुलिसकर्मियों को प्रभावित न कर सकें। ...तो क्या इन प्रभावशाली आरोपियों को इसलिए आजाद छोड़ा गया है कि वे ये सब कुछ कर सकें।

वहीं, शुक्रवार देर रात गोरखपुर में केस ट्रांसफर करने का आदेश आ गया। एडीजी जोन ने इसकी पुष्टि की है। अब कानपुर पुलिस मामले की जांच करेगी। इससे पहले मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने एडीजी को बयान दर्ज कराने से ही इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें गोरखपुर पुलिस पर भरोसा ही नहीं है। इसी बीच प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी है।

क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दिलीप पांडेय को दी गई जांच इधर, बर्खास्ती मामले में पुलिस मुख्यालय के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। मामले की विवेचना क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दिलीप पांडेय को दी गई है। उनके सहयोग में राजेश कुमार, सुनील पटेल, जनार्दन चौधरी को लगाया है। इस मामले में यूं तो छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, मगर इंस्पेक्टर रहे जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा, विजय यादव पर नामजद केस दर्ज है। इस बीच बृहस्पतिवार को मौका-ए-वारदात का निरीक्षण करने पहुंचे एडीजी अखिल कुमार ने भी यही कहा था कि साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जाती है। गिरफ्तारी से पहले साक्ष्य जुटाना होगा। साक्ष्य जुटाने के बाद ही गिरफ्तारी की जाएगी।

...तो आम लोगों की गिरफ्तारी क्यों?
पुलिस की खुद की बात आई तो सारा नियम बदल गया है। यही पुलिस आरोप के आधार पर केस दर्ज होते ही आरोपी को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपाने में पीछे नहीं रहती है। तब पुलिस कहती है कि घटना के चंद घंटे के भीतर गिरफ्तारी कर ली गई है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। आरोपी पुलिस वाले हैं इस वजह से पुलिस गिरफ्तारी नहीं, साक्ष्य संकलन की दलील दे रही है। इस बारे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहा है कि क्या आम लोगों के साथ भी अब ऐसा ही होगा?

होटल कर्मचारी से विवेचक ने की पूछताछ
कारोबारी मनीष की मौत मामले की विवेचना कर रहे क्राइम ब्रांच के दिलीप पांडे शुक्रवार को होटल पहुंचे थे। करीब डेढ़ घंटे तक होटल में मौजूद थे और छानबीन की। इस दौरान उन्होंने कर्मचारी आदर्श से पूछताछ की है, यह वही कर्मचारी है जो घटना के समय चेकिंग के दौरान पुलिस के साथ मौजूद था। खबर है कि उसने पुलिस को तीन लोगों के ठहरने और पुलिस के आने के समय की जानकारी दी है। हालांकि पुलिस वाले इस पर भी कुछ भी खुलकर नहीं बता रहे है।

एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने कहा कि मामले की विवेचना के लिए सह विवेचक भी लगाए गए हैं। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। एसपी क्राइम निगरानी कर रहे हैं।

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