इस वजह से शनिदेव को उनकी पत्नी ने दिया था भयंकर श्राप, जानें-पौराणिक कथा
पब्लिक न्यूज डेस्क। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनिदेव की पूजा-उपासना की जाती है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। अच्छे कर्म करने वाले को शुभ फल देते हैं, तो बुरे कर्म करने वाले को दंड देते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। इसके लिए कहा जाता है कि कृष्ण जी की पूजा करने से शनि की समस्त बाधा समाप्त हो जाती है। हालांकि, शनि देव को भी एक बार श्राप मिला था। इस श्राप के चलते शनिदेव मस्तक झुकाकर चलते हैं। यह श्राप स्वंय शनिदेव की उनकी पत्नी ने स्वंय दिया था। आइए, इस श्राप की कथा जानते हैं-
किदवंती है कि एक बार शनिदेव कृष्ण भक्ति में लीन थे। तभी शनिदेव की अर्धांगनी चित्ररथ ऋतुस्नान करके कामेच्छा हेतु आईं। हालांकि, शनिदेव भक्ति में मग्न थे, तो उन्होंने अर्धांगनी चित्ररथ पर कोई ध्यान नहीं दिया। माता चित्ररथ इसे अपमान समझ बैठी और उन्होंने तुरंत शनिदेव को श्राप दे दिया कि जिस व्यक्ति की नजर उन पर पड़ेगी। वह यथाशीघ्र जलकर नष्ट हो जाएगा। यह सुन शनिदेव का भक्ति से ध्यान टूट गया।
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