हर समस्या का समाधान है एक श्लोकी रामायण, ऐसे करें मंत्र का अनुष्ठान

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हर समस्या का समाधान है एक श्लोकी रामायण, ऐसे करें मंत्र का अनुष्ठान

हर समस्या का समाधान है एक श्लोकी रामायण, ऐसे करें मंत्र का अनुष्ठान

जीवन में आने वाली बहुत सी समस्याओं को दूर करने के लिए प्राय: रामायण का अखंड पाठ


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। जीवन में आने वाली बहुत सी समस्याओं को दूर करने के लिए प्राय: रामायण का अखंड पाठ तथा हवन करने का विधान बताया जाता है। इस पाठ के प्रभाव से हर प्रकार का ग्रह दोष, वास्तु दोष, रोग, शोक आदि तुरंत नष्ट हो जाते हैं। इसमें गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ किया जाता है। यह पाठ लगभग 24 घंटे तक चलता है। समय अधिक लगने के लिए हर किसी के लिए इस उपाय को कर पाना संभव नहीं हो पाता है।

ज्योतिषियों के अनुसार ऐसी स्थिति के निवारण के लिए भी एक उपाय बताया गया है। इस उपाय में एक-श्लोकी रामायण का जप किया जाता है। इसे कम से कम 108 बार करना होता है, अधिकतम आप जितना कर सकें, उतना अच्छा है। एक श्लोकी रामायण में रामकथा के पूरे सार को केवल मात्र एक श्लोक में ही बताया गया है। इसके पाठ से भी अखंड रामायण पाठ जितना ही पुण्य मिलता है। एक श्लोकी रामायण निम्न प्रकार है

एक श्लोकी रामायण

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्। वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥

भावार्थ: एक बार श्रीराम वनवास में गए। वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया। इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही यानि सीता जी को रावण ने हर लिया। सीता की रक्षा करते हुए पक्षिराज जटायु ने अपने प्राण गवाएं। श्रीराम की सुग्रीव से मित्रता हुई। उन्होंने उसके दुष्ट भाई बालि का वध किया। समुद्र पर पुल बनाकर पार किया और लंकापुरी का दहन किया। तत्पश्चात् उन्होंने रावण और कुम्भकरण का वध किया। यही पूरी रामायण की संक्षिप्त कहानी है।

कैसे करें एक श्लोकी रामायण का पाठ

किसी शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में भगवान गणपति की पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान श्रीराम, सीताजी, लक्ष्मण जी तथा हनुमानजी सहित अन्य सभी देवताओं की पूजा करें। मन ही मन अपने इष्टदेव तथा गुरुदेव को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें। उन सभी को पुष्प, अक्षत, फल, देसी घी का दीपक, धूपबत्ती आदि अर्पित करें। अब आसन पर बैठ रुद्राक्ष या तुलसी की माला से इस श्लोकरुपी मंत्र का कम से कम 108 बार पाठ करें। यदि संभव हो तो दस माला (1008) बार जप करें। जप के बाद भगवान से अपना कष्ट दूर करने की प्रार्थना करें। इस प्रकार यह अनुष्ठान पूर्ण होता है।