चीन की वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक पर दुनियाभर में विवाद बढ़ता जा रहा है।, आखिर इस ऐप से देशों को क्या खतरा है और इसका चीन से क्या कनेक्शन है? जानिए

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चीन की वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक पर दुनियाभर में विवाद बढ़ता जा रहा है।, आखिर इस ऐप से देशों को क्या खतरा है और इसका चीन से क्या कनेक्शन है? जानिए

चीन की वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक पर दुनियाभर में विवाद बढ़ता जा रहा है।, आखिर इस ऐप से देशों को क्या खतरा है और इसका चीन से क्या कनेक्शन है? जानिए 

वीडियो-शेयरिंग ऐप पर अब संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी बैन लगा दिया है यह ऐप चीन की कंपनी बाइटडांस का है और इसे


पब्लिक न्यूज़ डेस्क- वीडियो-शेयरिंग ऐप पर अब संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी बैन लगा दिया है। यह ऐप चीन की कंपनी बाइटडांस का है और इसे एंटरटेनमेंट के लिए बनाया गया है। दुनियाभर में करोड़ों लोग इस ऐप का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब इस ऐप को बैन किया जा रहा है। सबसे पहले भारत ने इस ऐप पर बैन लगाया था। अब अमेरिका ने इसे बैन करने के लिए एक बिल पास किया है। साथ ही चीन के सामने एक शर्त रखी गई है। अमेरिका का कहना है कि 6 महीने के अंदर बाइटडांस टिकटॉक में अपनी हिस्सेदारी बेच दे। अगर कंपनी ऐसा नहीं करती तो टिकटॉक को अमेरिका में बैन कर दिया जाएगा। देश में टिकटॉक के करीब 17 करोड़ यूजर्स हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर टिकटॉक को बैन क्यों किया जा रहा है? अमेरिका को क्या खतरा सता रहा और इस खतरे का चीन से क्या कनेक्शन है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक से देशों को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने का डर सता रहा है। साल 2020 में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे, तब भी टिकटॉक से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताया गया था। ट्रंप ने भी इसे बैन करने के लिए प्रस्ताव पेश किया था। अमेरिका की सरकारी एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों को आदेश तक दे दिया था कि वे अपने मोबाइल से इस ऐप को हटा दें। चीन ने अमेरिका पर आरोप भी लगाया था कि अमेरिका टिकटॉक के लिए चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इंटरनेशनल मीडिया में मुद्दा बनने पर ट्रंप को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, टिकटॉक पर बैन लगाने की जब मांग उठने लगी और कई देशों ने इस बार बैन लगा दिया तो इससे होने वाले खतरों पर चर्चा शुरू हुई। टिकटॉक के विरोधियों का कहना है कि टिकटॉक लोगों की निजी जानकारियां और डेटा कलेक्ट करता है। ऑस्ट्रेलिया की साइबर कंपनी ने रिसर्चरों ने जुलाई 2022 में साइबर सुरक्षा विषय पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें ऐप के सोर्स कोड का जिक्र किया गया था। रिसर्च में कहा गया था कि टिकटॉक ऐप में एक खास डिवाइस इस्तेमाल किया गया है, जो यूजर्स का डेटा स्टोर करती है। यूजर का व्यवहार, उसकी सोच और उसकी हरकतों तक का मूल्यांकन किया जाता है।

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रिपोर्ट के अनुसार, चीन पर टिकटॉक के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, स्नैपचैट आदि सोशल नेटवर्किंग साइट अमेरिकन कंपनियां हैं और यूजर को प्राइवेसी का वादा देने का वादा करती हैं, लेकिन विरोधियों का कहना है कि चीन ऐप में इस्तेमाल किए गए स्पेशल डिवाइस के जरिए डेटा कलेक्ट करके देशों की जासूसी कर सकता है। इस पर्सनल डेटा को दूसरे देशों को बेच सकता है, क्योंकि चीन में एक बार टिकटॉक के डेटा सेंटर के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिशें हो चुकी हैं। टिकटॉक को अब तक न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, यूरोपियन संघ, बेल्जियम, डेनमार्क, कनाडा, ताइवान, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान बैन कर चुके हैं। सबसे पहले भारत ने इसे सुरक्षा कारणों का हवाला देकर बैन किया था। 29 जून 2020 को इस पर भारत में बैन लगाया गया था और तब केंद्र की मोदी सरकार ने करीब 59 ऐप भारत में ब्लॉक कराई थीं।