पूरा:विपक्ष के पास हाथरस कांड, टेनी के बेटे की जमानत और लखीमपुर हिंसा मुद्दा, भाजपा निकालेगी नए तीर

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पूरा:विपक्ष के पास हाथरस कांड, टेनी के बेटे की जमानत और लखीमपुर हिंसा मुद्दा, भाजपा निकालेगी नए तीर

पूरा:विपक्ष के पास हाथरस कांड, टेनी के बेटे की जमानत और लखीमपुर हिंसा मुद्दा, भाजपा निकालेगी नए तीर


मेरठ। वेस्ट यूपी में पहले दो चरण का मतदान पूरा हो चुका है। यानी की दंगों की धरती मुजफ्फरनगर, पलायन के लिए सुर्खियां बटोरने वाला कैराना और गन्ना बेल्ट वेस्ट यूपी की 113 सीटों पर मतदान हो चुका है। चुनाव होने से पहले से ही सीएम योगी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी वेस्ट यूपी में दंगों, पलायन पर खूब बोले। वहीं विपक्ष गन्ना, किसान आंदोलन को वेस्ट यूपी में मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा। तीसरे चरण में अब 20 फरवरी को चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा और विपक्ष अपने नए मुद्दे तलाश रहा है। विपक्ष के पास हाथरस कांड व हाथरस में जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज सबसे बड़ा मुद्दा है। वहीं भाजपा अब सिसायत में नए तीर निकालने की तैयारी में है।

भाजपा का पहला मुद्दा था मुजफ्फरनगर दंगे

2013 के मुजफ्फरनगर दंगे यूपी में नहीं बल्कि पूरे देशभर मे चर्चित हुए। साल था 2013 और प्रदेश में सत्ता थी अखिलेश यादव के हाथ। मुजफ्फरनगर में कवाल कांड जिसमें गौरव व सचिन की हत्या हुई, इसी कांड में शाहनवाज की भी हत्या हुई। यहां से नंगला मंदौर की महापंचायत के बाद दंगा हुआ तो जाट व मुस्लिमों में खाई खुद गई।

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आरएलडी के तत्कालीन मुखिया चौधरी अजित सिंह से जाट छिटककर भाजपा की तरफ रुक कर गए। नतीजा निकला की 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वेस्ट यूपी से ही जीत का परचम लहराया। 2017 के विधानसभा चुनाव व 2019 के लोसकभा में भी भाजपा इसे भुनाती रही। दोनों लोकसभा चुनाव में अजित सिंह को हारना पड़ा।

कैराना पलायन जिसे खूब भूनाया

2016 में भाजपा के कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने पहली बार पलायन का मुद्दा उठाया। जिसमें कहा था की कुख्यात मुकीम काला व्यापारियों व अन्य लोगों से रंगदारी मांगता है। हत्या करता है। 2017 व 2019 में भी भाजपा ने कैराना पलायन को चुनाव में मुद्दा बनाया। 2021 में मुकीम काला जेल में ही मारा गया। इस विधानसभा चुनाव में फिर से भाजपा ने कैराना को मुद्दा बनाया।

किसान आंदोलन को विपक्ष ने भुनाया

तीन कृषि कानूनों के विरोध में 13 महीने तक किसानों ने आंदोलन किए। 715 किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए। 25 दिसंबर को प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया तो लगा की विपक्ष कमजोर हो जाएगा और विपक्ष अब चुनाव किस मुद्दे पर लड़ेगा। लेकिन समाजवादी पार्टी का आरएलडी से गठबंधन भाजपा के लिए मुसीबत बन गया। गठबंधन व विपक्ष किसान आंदोलन को वेस्ट यूपी में खूब भुना सका।

113 सीटों पर हो चुका है मतदान

पहले चरण में 58 सीटों पर चुनाव हो चुका है। इन 58 सीटों से भाजपा ने 2017 में 53 सीट जीतीं। जबकि सपा ने 2, बसपा ने 2 व आरएलडी को एक सीट मिली थी। दूसरे चरण में 55 सीटों पर वोटिंग हुई। इन 55 सीटों से भाजपा को 38, सपा को 15 व कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत 2017 में हुई थी।

यानी 113 सीटों पर जो चुनाव हुआ है। इन 113 सीटों सें 2017 में भाजपा को 91 सीट मिली थी। लेकिन मौजूद समय में जाटलैंड में किसान आंदोलन व जाट व मुस्लिमों के गठजोड़ ने समीकरण बदल दिए हैं।

हाथरस व लखीमपुर कांड विपक्ष का नया मुद्दा

विपक्ष अब हाथरस कांड को नया मुद्दा बनाने जा रहा है। हाथरस में दलित बेटी की आबरू लूटने का प्रकरण देशभर में चर्चित हुआ। जिसे सरकारी तंत्र ने रात में पेट्रोल डालकर क्रिया कर्म करा दिया। तो प्रियकां गांधी भी सड़क पर उतर आईं। इसी दलित बेटी के घर जाते हुए आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। हाथरस कांड को अब विपक्ष तीसरे चरण में मुद्दा बनाएगा।

वही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे की जमानत को भी विपक्ष मुद्दा बनाएगा। किसान नेता राकेश टिकैत पहले ही कह चुके हैं की किसानों को गाड़ी से कुचलने वाला मंत्री का बेटे को जमानत मिल जाए तो समझ लें कि क्या हो रहा है। केंद्रीय मंत्री की बर्खास्ती की किसान मांग करते रहे हैं, अभी तक वह पद पर बना हुआ है।

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