इन खातों को खुलवाने में ग्रामीण क्षेत्र और अर्द्ध शहरी इलाकों के लोग भी पीछे नहीं रहे हैं। नोटबंदी के बाद 34 करोड़ से अधिक नॉन-फ्रिल खाते सरकारी बैंकों में और 18.2 फीसदी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में और तीन फीसदी निजी बैंकों में खोले गए हैं। नोटबंदी के बाद ग्रामीण इलाकों में बैंक की पहुंच भी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 2010 कुल 33,378 बैंक शाखाएं थीं जो दिसंबर, 2020 में बढ़कर 55,073 हो गई थीं।

इसके साथ ही गांवों में बैंक मित्रों  की संख्या भी कुछ हजार से बढ़कर लाखों में हो गई। नोटबंदी का असर केवल डिजिटल लेन-देन में ही देखने को नहीं मिला बल्कि इससे अपराध में कमी आई है। रिपोर्ट की मानें तो जिन राज्‍यों में अधिक बैंक खाते थे वहां पर शराब और तंबाकू उत्पादों जैसे नशीले पदार्थों के सेवन में कमी देखी गई है।