इन खातों को खुलवाने में ग्रामीण क्षेत्र और अर्द्ध शहरी इलाकों के लोग भी पीछे नहीं रहे हैं। नोटबंदी के बाद 34 करोड़ से अधिक नॉन-फ्रिल खाते सरकारी बैंकों में और 18.2 फीसदी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में और तीन फीसदी निजी बैंकों में खोले गए हैं। नोटबंदी के बाद ग्रामीण इलाकों में बैंक की पहुंच भी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 2010 कुल 33,378 बैंक शाखाएं थीं जो दिसंबर, 2020 में बढ़कर 55,073 हो गई थीं।
देश में नोटबंदी का रहा पाजिटिव इंपैक्ट, आतंक पर लगाम लगाने के अलावा कई जगह दिखा असर
पब्लिक न्यूज डेस्क। देश में हुई नोटबंदी को पांच वर्ष हो गए हैं। 8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की थी और ये उसी रात 12 बजे से लागू हो गई थी। नोटबंदी का सबसे पहला और सबसे बड़ा मकसद आतंकियों और उन्हें वित्तीय मदद देने वालों की कमर तोड़ना था। इसके अलावा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और लोगों को अधिक से अधिक डिजिटल पेमेंट के लिए जागरुक करना था। पांच वर्ष बाद नोटबंदी का सकारात्मक असर भी साफतौर पर देखा जा रहा है। मौजूदा समय में प्लास्टिक मनी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। अधिकतर लोग डिजिटल पेमेंट की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इसका एक असर ये भी देखने को मिला है कि वित्तीय लेन-देन में जो पारदर्शिता नोटबंदी के बाद देखने को मिली है वो इससे पहले दिखाई नहीं देती थी।
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें पब्लिक न्यूज़ टी वी के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @PublicNewsTV और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @PublicNewsTV पर क्लिक करें।