जानिए क्यों आता है भूकंप, क्या है इसके पीछे का कारण

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जानिए क्यों आता है भूकंप, क्या है इसके पीछे का कारण

जानिए क्यों आता है भूकंप, क्या है इसके पीछे का कारण


नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर और जम्मू कश्मीर समेत देश के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नए साल में देश में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। अब सवाल ये है कि क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है और कैसे पता चलता है। कैसे पता चलता है कि भूकंप की तीव्रता कितनी है। बता दें कि धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर इधर-उधर होती रहती है। प्लेटों के इस विस्थापन को भूकंप कहते हैं।आइए जानते हैं इसके बारे में...

क्यों आता है भूकंप

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं। जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है। ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वह स्थिर रहते हुए अपनी जगह तलाशती हैं इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाता है।

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है। लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। समुद्र में भूकंप आने पर उंची और तेज लहरें उठती है जिसे सुनामी भी कहते हैं।

कैसे मापा जाता जाता है भूकंप की तीव्रता

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।

चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है देश को

दरअसल भूकंप को लेकर देश को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

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