डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ का आठवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

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डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ का आठवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ का आठवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न


लखनऊः डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ ऐसे विद्यार्थियों की शिक्षा, योग्यता को उत्कृष्ट कर रहा है जो अपनी कुछ अक्षमताओं के रहते हुए भी अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के आठवें दीक्षांत समारोह के गौरवमयी अवसर पर दीक्षा उद्बोधन देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह के सुनहरे पल विद्यार्थियों के साथ ही विश्वविद्यालय परिवार के लिए भी सदैव स्मरणीय रहते हैैं। मुझे प्रसन्नता है कि यह विश्वविद्यालय दिव्यांग छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक उच्च-शिक्षा, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के माध्यम से समाज और विकास की मुख्य धारा में जोड़कर उन्हें प्रगति-पथ प्रदान कर रहा है। निःसन्देह इस विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त उपाधि धारकों में एक नवीन ऊर्जा एवं आत्मविश्वास का संचार हो रहा है।
राज्यपाल जी ने कहा कि प्रकृति ने यदि आपको चुनौतियां दी हैं तो आपको अपनी असीमित क्षमताओं के विकास और विस्तार का हौसला भी दिया है। टोक्यो पैरालंपिक में प्राप्त हुए 12 पदक आपके आत्मविश्वास, लगन निरंतर प्रैक्टिस का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश युवाओं का देश है, युवाओं से समृद्ध हर देश में तीन चीजे बहुत मान्य रखती है- पहला- आइडिया और इन्नोवेशन, दूसरा- जोखिम लेने का जज्बा, तीसरा- बंद कव ेचपतपज अर्थात किसी भी काम को पूरा करने की जिद। जब ये तीनों चीजे आपस में मिलती है तो उसके अभूतपूर्व परिणाम आते हैं। आप सबको भी इन तीनों चीजांे को साथ लेकर आगे बढ़ते हुए रचनात्मक कार्य करने हैं।
कुलाधिपति ने कहा कि आप सब आज यहां से उपाधि प्राप्त करके सामाजिक जीवन में अग्रसर हो जायेंगे। इसलिए अब आपको समाज व देश के लिए कुछ करना है। पिछले दिनों देश में 12वां अंगदान दिवस मनाया गया। मैं आप सभी से अपेक्षा करती हूं कि जरूरतमंद व्यक्तियों के जीवन को बचाने के लिए मृत्यु के बाद अंगदान जैसे सामाजिक कार्यों से लोगों को जोड़ना चािहए। आज युवा और बड़ों को देहदान, अंगदान व रक्तदान के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने की जरूरत है। अंगदान से एक व्यक्ति चार से पांच व्यक्तियों को जीवनदान दे सकता है। यह मानवता का विषय है।
राज्यपाल जी ने कहा कि बिगड़ता पर्यावरण हम सभी के लिये चिन्ता का विषय है। इसलिये हम सभी को अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। क्योंकि जब हम प्रकृति का संरक्षण करते हैं, तो बदले में प्रकृति हमें भी संरक्षण और सुरक्षा देती है। प्रकृति के लिये खतरा तभी पैदा हेाता है जब हम उसके संतुलन से छेड़छाड़ करते हैं। छेड़छाड़ का ही परिणाम है कि आज हमारी अनेक नदियां प्रदूषित हो रही है तथा बहुत सी नदियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसलिये मैं आप सभी से अपील करती हँू कि आप वृक्षारोपण को अपनी प्राथमिकता में शामिल करें और अपनी नदियों और जलश्रोतों को प्रदूषित होने से बचाएं। राज्यपाल जी ने जनपद बाराबंकी में विलुप्त होती कल्याणी नदी के पुनर्जीवन हेतु वहां पर स्थानीय लोगों द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके सामूहिक सहयोग से नदी अपने पुराने अस्तित्व को प्राप्त कर सकी। मुझे भी कल्याणी नदी के पुर्नोद्धार करने का सहभाग प्राप्त हुआ। राज्यपाल जी ने सभी विश्वविद्यालयों से अपील की कि लखनऊ की जीवन धारा कही जाने वाली गोमती नदी को बचाने के लिए संयुक्त रूप से कार्य योजना बनाकर कार्य करें।
उन्होंने कहा कि आज के ज्ञान एवं भूमंडलीकरण के इस दौर से गुजरते हुए समाज में गुणवत्तापरक शिक्षा ही सर्वाधिक प्रभावी सिद्ध हो सकती है। इस विशेष विश्वविद्यालय में दिव्यांगों की आवश्यकताओं के अनुरूप बहु-विषयक शोध को प्रोत्साहित किया जाये। इससे उनको राष्ट्रीय मुख्यधारा में जोड़ने तथा देश के विकास में उनके योगदान को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के मंत्री श्री अनिल राजभर ने दिव्यांगजनों के लिए प्रदेश में चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाएं पर प्रकाश डाला एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर समारोह में मुख्य अतिथि एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के प्रो0 विक्रम कुमार ने कहा कि पिछले दो दशकों में हमारे देश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन हमारे समाज में समस्याएं हैं, जिनमें और अधिक सुधार होना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपनी व्यक्तिगत सफाई और स्वच्छता का बहुत ध्यान रखते हैं। हम सुबह सर्वप्रथम स्नान करते हैं और घर की सफाई करते हैं, रंगोली बनाते हैं लेकिन फिर हम सब जगह कचरा फेंकते हैं। हमारे सार्वजनिक स्थान सबसे ज्यादा गंदे हैं। मुझे पता है कि सार्वजनिक स्थल की साफ सफाई करना नगर पालिका का काम है, लेकिन हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम अच्छे नागरिक बनें और आसपास सफाई रखें। स्वच्छता हमारी आदत होनी चाहिए। इसका हमेशा, हर बार और हर जगह अभ्यास किया जाना चाहिए। तभी हम अपने पड़ोस, शहर और नदियों को स्वच्छ रख पायेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राणा कृष्णा पाल सिंह ने बताया कि आज दीक्षांत समारोह में कुल एक सौ पैंतालीस पदक वितरित किये गये जिसमे 53 स्वर्ण पदक, 46 रजत पदक तथा 46 कांस्य पदक थे। कुल 145 पदकों में से 77 पदक छात्राओं ने तथा 68 पदक छात्रों को दिये गये। उन्होंने बताया कि कुल 145 पदको में से 12 दिव्यांग विद्यार्थियों को 16 पदक दिये गये, जिसमें 4 बालिकायें तथा 8 बालक शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि अष्टम दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा कुल 1626 विद्यार्थियों को उपधियां दी जानी है जिनमें 774 छात्राएं तथा 852 छात्र हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल जी ने राजकीय स्पर्श विद्यालय की दृष्टिबाधित 30 बालिकाओं, तथा बचपन डे-केयर सेंटर की पाँच बालिकाओं को फल एवं मिष्ठान का वितरण किया तथा विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा तथा कौन बनेगा करोड़पति टी.वी.शो में एक करोड़ रूपये जीतने वाली हिमानी बुंदेला को सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन विभाग के अपर मुख्य सचिव हेमन्त राव, विश्वविद्यालय के सामान्य परिषद, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य एवं अधिष्ठाता एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण राजकीय स्पर्श विद्यालय के दिव्यांग बच्चे आदि उपस्थित थे।

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