आस्था और उत्सव का पर्व है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा महोत्सव

भारत के पवित्र शहर तथा वैष्णव तीर्थस्थल पुरी में हर साल आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। भारत के पवित्र शहर तथा वैष्णव तीर्थस्थल पुरी में हर साल आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा सदियों पुरानी परंपरा है। यह भगवान विष्णु के ही अवतार भगवान जगन्नाथ, तथा उनके भाई-बहन, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा के साथ रथ विहार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को आशीर्वाद देने और उनसे बातचीत करने के लिए अपने गर्भगृह से बाहर आते हैं।
बनाए जाते हैं तीन अति भव्य रथ
रथ यात्रा के सबसे मनोरम पहलुओं में से एक विस्तृत रूप से सजाए गए रथ हैं। इन रथों को कुशल कारीगरों द्वारा सावधानीपूर्वक निर्मित किया जाता है। ये देखने में विशाल तथा अत्यन्त सुंदर होते हैं। प्रत्येक रथ पर देवता विराजमान होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है, भगवान बलभद्र के रथ का नाम तलध्वज तथा देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन के नाम से जाना जाता है।
गुंडिचा मंदिर तक जाती है रथयात्रा
रथ यात्रा का गंतव्य गुंडिचा मंदिर होता है जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का अत्यधिक महत्व है क्योंकि इसे भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का मायका माना जाता है। देवता नौ दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। इस दौरान भक्त आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने के लिए मंदिर में आते हैं।