जानें पंचामृत और चरणामृत दोनों में क्या है अंतर

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जानें पंचामृत और चरणामृत दोनों में क्या है अंतर

जानें पंचामृत और चरणामृत दोनों में क्या है अंतर 

सनातन धर्म में पूजा पाठ का जितना महत्व है


पब्लिक न्यूज़ डेस्क। सनातन धर्म में पूजा पाठ का जितना महत्व है, उतना ही महत्व चरणामृत और पंचामृत का भी है। पूजा पाठ के दौरान चरणामृत और पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत ही जरूरी माना जाता है। मंदिर में जाने वाले भक्तों को पुजारी अक्सर पंचामृत और चरणामृत प्रसाद के रूप में देते हैं। लेकिन बहुत ही कम लोगों के ये पता होता है कि चरणामृत और पंचामृत दोनों अलग-अलग होते हैं। दोनों को बनाने कि विधि अलग है और दोनों का अलग धार्मिक महत्व भी है। क्या हैं दोनों के बीच का अंतर जानें यहां।

पंचामृत और चरणामृत में अंतर

पंचामृत में पांच चीजों को मिलाया जाता है. इसे कथा-हवन आदि में भगवान के अभिषेक के लिए तैयार किया जाता है। जो पांच चीजें पंचामृत में मिलाई जाती हैं वह, गाय का दूध, दही, घी, गंगाजल और चीनी होती हैं। इन सभी को मिलाकर भगवान के अभिषेक और भोग के लिए पंचामृत तैयार किया जाता है। लेकिन चरणामृत को जल में तुलसी मिलाकर तैयार किया जाता है।

क्या है पंचामृत

पंचामृत नाम से ही साफ है कि पांच पवित्र चीजों के बना अमृत। इसको बनाने के लिए पांच अमृत समान चीजों को एक साथ मिलाया जाता है। इससे भगवान का अभिषेक होता है। सत्यनारायण भगवान की कथा हो या जन्माष्टमी पर कान्हा जी का जन्म दोनों ही मौकों पर भगवान का अभिषेक पंचामृत बनाकर किया जाता है। उसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

क्या है चरणामृत

चरणामृत नाम से भी साफ है कि भगवान के चरणों का अमृत। इस अमृत को तैयार करने के लिए शालिग्राम भगवान को गंगाजल से स्नान कराया जाता है। इसमें तुलसी दल को भी मिलाया जाता है। उसके बाद भगवान के चरणों के अमृत को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है। शास्त्रों में चरणामृत लेने के कुछ नियम बताए गए हैं। उसी हिसाब से चरणामृत लेना चाहिए। कहा जाता है कि चरणामृत को हमेशा दाएं हाथ से ही ग्रहण करना चाहिए। इसको हमेशा तांबे के बर्तन में भी बनाना चाहिए। शायद यही वजह है मंदिरों में हमेशा चरणामृत तांबे के लोटे में ही रखा जाता है।