गुरुड़ पुराण के अनुसार करेंगे दान तो कभी नहीं होगी गरीबी, जानें शास्त्रों में दान की खास विधिया

हिंदू धर्म में दान को शुभ और पुण्यदायक कार्य माना जाता है।
पब्लिक न्यूज़ डेस्क। हिंदू धर्म में दान को शुभ और पुण्यदायक कार्य माना जाता है। यही वजह है कि लोग इसे काफी महत्व देते हैं। शास्त्रों में दान की खास विधियों के बारे में बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि सही विधि से दान करने पर उसका शुभ फल प्राप्त होता है। वहीं गलत तरीके से दान करने पर उसका कोई शुभ फल नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र में दान की सही विधि के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं कि दान कब करना चाहिए और कब नहीं।
गरुड़ पुराण में के मुताबिक दान की विधि
गरुड़ पुराण में दान के बारे में विशेष रूप से और विस्तापूर्वक बताया गया है। गरुड़ में इस बारे में एक श्लोक है –
श्लोक
दाता दरिद्रः कृपणोर्थयुक्तः पुत्रोविधेयः कुजनस्य सेवा।
परापकारेषु नरस्य मृत्युः प्रजायते दिश्चरितानि पञ्च।।
सामर्थ्य के अनुसार ही करें दान
गरुड़ पुराण में दिए गए इस श्लोक का अर्थ है कि इंसान को हमेशा अपने सामर्थ्य के अनुसार ही दान करना चाहिए। साथ ही दान इस तरह कभी नहीं करना चाहिए जिसके कि दरिद्रता की स्थिति आ जाए। गरुड़ पुराण के उक्त श्लोक के मुताबिक, आमदनी कम होने के बावजूद भी बिना सोच-विचारकर दान करने वाले हमेशा दुखी ही रहते हैं। ऐसे में दान करने से पहले खुद की आर्थिक परिस्थिति का आकलन जरूर कर लेना चाहिए।
दिखावे के दान से रहना चाहिए दूर
गरुड़ पुराण के मुताबिक, इंसान को कभी भी दिखावे के लिए दान नहीं करना चाहिए। दरअसल दिखावे का दान किसी भी स्थिति में शुभ फल नहीं देता। इसके अलावा इस प्रकार के दान से वास्तव में सच्चे दान की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे में दान करने वाले को इसका कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। ऐसे में हमेशा दिखावे के दान से दूर रहना चाहिए।