मणिपुर आतंकी हमले में उजड़ गया कर्नल का परिवार, जानिए शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी के बारे में
पब्लिक न्यूज डेस्क। मणिपुर में शनिवार को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में आतंकियों ने 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी को निशाना बनाया। उनके काफिले पर हमला किया गया। जिस समय ये हमला हुआ, उस वक्त कर्नल त्रिपाठी अपने परिवार के साथ लौट रहे थे। आतंकियों के इस हमले में कर्नल त्रिपाठी के अलावा उनकी पत्नी 36 वर्षीय पत्नी अनुजा और पांच वर्षीय बेटे अबीर की भी मौत हो गई। त्रिपाठी परिवार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ का रहने वाला था। इस पूरे हमले में 7 लोगों की जान गई।
करीब डेढ़ साल पहले मणिपुर में पोस्टिंग
शहीद कर्नल के मामा राजेश पटनयक ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले विप्लव की पोस्टिंग मणिपुर में हुई थी। उससे पहले वह मेरठ कैंट में थे। करीब एक साल पहले वे अंतिम बार रायगढ़ आए आए थे। मामा ने बताया कि विप्लव बेहद ही शांत और नम्र स्वभाव के थे। कभी-कभी तो लोगों को आश्चर्य होता था कि वे सेना में कैसे चले गए।
शहीद विप्लव की पत्नी अनुजा ओडिशा की रहने वाली थी। 37 वर्षीय अनुजा भी हमले के समय उनके साथ थीं। उग्रवादियों ने उनके काफिले पर तब घात लगाकर हमला किया, जब कर्नल रोजाना की तरह चेक पोस्ट का निरीक्षण करने निकले हुए थे। यह उनके रूटीन क हिस्सा था, लेकिन शनिवार को पत्नी और बेटा भी उनके साथ थे।
इलाज के दौरान पांच वर्षीय बेटे की मौत
सबसे पहले कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव की गाड़ियों के काफिले में आगे चल रही गाड़ी में ब्लास्ट हुआ। बीच वाली गाड़ी में वह खुद अपने परिवार के साथ बैठे हुए थे। ब्लास्ट के बाद दोनों बची हुई गाड़ियों पर उग्रवादियों ने गोलियों की बौछार कर दी। कर्नल विप्लव और उनकी पत्नी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। बेटा गंभीर रूप से घायल था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
कर्नल विप्लव के पिता और मां छह दिन पहले ही रायगढ़ वापस लौटे हैं। इससे पहले तीन महीने तक वे मणिपुर में अपने बेटे-बहू के साथ थे। सबने साथ दिवाली मनाई। इसके बाद माता-पिता रायगढ़ लौट कर आए थे। शहीद कर्नल के छोटे भाई अनय त्रिपाठी फिलहाल रायगढ़ में थे। सुबह पूरा परिवार नाश्ता कर रहा था, जब उन्हें विप्लव की मौत की पहली बर खबर मिली। इसके बाद से मात-पिता के आंसू नहीं रुक रहे। उनका परिवार शहर के प्रतिष्ठित परिवारों में शमिल है। जिसे पता चला, वह यह खबर सुनकर स्तब्ध रह गया। शनिवार दिन भर शोक जताने आने वालों का घर में तांता लगा रहा, लेकिन मां-बाप उनसे बात करने की हालत में भी नहीं थे।
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