दीपावली पर चमका दें कोना-कोना, घर हो या बाहर...

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दीपावली पर चमका दें कोना-कोना, घर हो या बाहर...

दीपावली पर चमका दें कोना-कोना, घर हो या बाहर...


पब्लिक न्यूज डेस्क। दीवाली के मौके पर अपने घर की सफाई एक जरूरी रस्म है, जिसे पूरा करना ही होता है। पर हमारे कुछ किशोर-युवा दोस्तों की मानें तो यह बेहद सामान्य बात है। इसलिए हमें घर के बाहर आस-पड़ोस व शहर की सफाई को भी दीवाली की सफाई से जोड़कर देखना चाहिए। आइए आपके कुछ लोकप्रिय युवा दोस्तों से बात करके जानते हैं कि सफाई का यह सरोकार कितना जरूरी है....

‘पांच-छह चम्मच ब्लीचिंग पाउडर और थोड़े-से डिटर्जेंट को आधा बाल्टी गर्म पानी में मिलाएं। इसके बाद गंदे बर्तनों और जार को 15-20 मिनट के लिए उसमें भिगो दें। फिर उसे साफ करें। ये सारी चीजें चमक उठेंगी।’ अखबारों में, टीवी चैनलों पर इस तरीके के टिप्स खूब आ रहे हैं इन दिनों। 11वीं की छात्रा दृष्टि सिंह कहती हैं कि वह इंटरनेट पर ऐसे टिप्स को सर्च करती रहती हैं और अपने पारिवारिक वाट्सएप ग्रुप पर शेयर करती हैं। इस बार उन्हें घर की सभी खिड़कियों को चमकाने व सजाने का जिम्मा मिला है, जिसे उन्होंने पूरा भी कर लिया है। दृष्टि ने घर की सारी खिड़कियों को न केवल चमका दिया है, बल्कि उन सब पर रंग-बिरंगे बल्बों वाली लड़ी भी लगा दी है।

अधूरी न रह जाए सफाई

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की महिला पहलवान दिव्या काकरान कहती हैं,‘अक्सर मैंने देखा है कि जितनी गंभीरता से हम अपने घर को सजाते हैं, घर से बाहर निकलकर वह गंभीरता गायब होने लगती है। दीवाली आई भी नहीं कि लोग पटाखे चलाकर हर तरफ कूड़ा बढ़ाने लगते हैं। प्रदूषण फैलता है सो अलग। बेहतर होगा कि हम यह समझें कि घर साफ है, बाहर नहीं तो दीवाली की सफाई अधूरी रह जाएगी। बाहर गंदगी में मच्छर पनपेंगे और डेंगू, मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों को बढ़ावा मिलेगा। याद रखें, इसके लिए जिम्मेदार हम होंगे।

अभिनेता विशेष तिवारी ने कुछ ही समय पहले अपनी फिल्म‘दिल्ली’की शूटिंग पूरी की है। अभी घर पर हैं। उनके बड़े भैया भी मुंबई आ गए हैं। सब मिलकर साफ-सफाई में मां की मदद करने की तैयारी में हैं। बताते हैं विशेष, ‘मुझे झाड़ू-पोंछा करना भी पसंद है। मजा आता है जब सफाई के दौरान पुराने सामान या कचरे में से कुछ पुरानी यादें निकल आती हैं। जैसे कुछ साल पहले मुझे पोकेमान और सुपरहीरो के कार्ड इकटठे करने का शौक था। जो कुछ समय के बाद इधर-उधर हो जाते थे। लेकिन दीवाली की सफाई के दौरान जब फिर से मिलते, तो मैं खुशी से उछल पड़ता था। आज भी मुझे पुराने सामानों को अलग करने में मजा आता है।‘

वह आगे कहते हैं,‘कितना अच्छा हो यदि हम सब इस पूरी धरती को ही घर मानें और इसे भी उतना ही प्यार करें। यह सोच हमें बड़े बदलाव के लिए तैयार करेगी। मुझे बड़ा दुख होता है जब लोग बाहर कचरा देखकर शिकायत करते हैं,इसके लिए औरों को तो जिम्मेदार ठहराते हैं पर खुद सजग नहीं होते। मैं दीवाली के समय अपने पड़ोस की सफाई का भी पूरा ध्यान रखता हूं। यह मुझे अलग तरह से रोमांचित करता है। खुशी देता है। यदि आप बाहर साफ रखते हैं, तो न केवल इंसान, बल्कि पशु-पक्षियों को भी खुशी देते हैं। अपने शहर और देश को साफ रखने में आपका भी कुछ योगदान है, यह सोच ही आपको गर्व से भर देगा।‘

करें प्रशासन का सहयोग

देहरादून(उत्तराखंड)के इनोवेटर जतिन सिंह चौहान अपने घर की सफाई पूरी योजना के साथ करते हैं। घर के सभी सदस्य अपना-अपना काम बांट लेते हैं। जतिन हर बार दस्ताने, टोपी, चश्मे आदि का प्रयोग करते हैं, ताकि गंदगी व धूल आदि साफ करते समय शारीरिक रूप से कोई परेशानी न हो। यह तो जरूरी रस्म है, जिसे हम अपनी ही सुख-समृद्धि की कामना को पूरा करने के लिए करते हैं। बड़ी बात तब होगी,जब हम साफ-सफाई को लेकर अपना नजरिया बड़ा कर लें। बाहर जो बेशुमार गंदगी हमारी वजह से फैली होती है,उसे भी साफ करने को लेकर सजग एवं तत्पर रहें। कचरे के ढेर पर जानवर आते हैं।

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