दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रति क्‍यों नरम पड़े राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग? क्‍या हैं कूटनीतिक निहितार्थ, जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू

  1. Home
  2. विदेश

दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रति क्‍यों नरम पड़े राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग? क्‍या हैं कूटनीतिक निहितार्थ, जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू

दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रति क्‍यों नरम पड़े राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग? क्‍या हैं कूटनीतिक निहितार्थ, जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू


पब्लिक न्यूज डेस्क। चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने यह कहा है कि उनका देश दक्षिण चीन सागर व दक्षिण पूर्व एशिया पर प्रभुत्‍व नहीं करना चाहता। आखिर चीन के राष्‍ट्रपति ने यह बयान क्‍यों दिया ? क्‍या इस बयान के पीछे ड्रैगन की कोई बड़ी योजना है ? यह सवाल विशेषज्ञों के मन में कौंध रहे हैं। सवाल यह है कि राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग को यह बयान देने की जरूरत क्‍यों पड़ी ? इसके क्‍या कूटनीतिक मायने हैं ? चीनी राष्‍ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है, जब दक्षिण चीन सागर में और चीन से सटे तटवर्ती देशों के साथ उसका विवाद चरम पर है। ऐसे में यह शक जरूर होता है कि इस बयान के क्‍या मायने हैं।

आखिर क्‍या है इस बयान के कूटनीति मायने 

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि हाल में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की बैठक के बाद यह सुनिश्चित हो गया है कि शी चिनफ‍िंग तीसरी बार देश के राष्‍ट्रपति बनेंगे। इसके बाद उन्‍होंने अपनी नीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। चिनफ‍िंग के लिए चीन से मिलने वाले देशों के साथ सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है। चिनफ‍िंग के लिए सीमा विवाद को सुलझाना एक बड़ी चुनौती है। सीमा विवाद के चलते चीन के अधिकतर पड़ोसी मुल्‍कों के साथ तल्‍ख रिश्‍ते हैं। इसमें भारत भी शामिल है। इस समय सीमा विवाद से निपटना चिनफ‍िंग का प्राथमिक एजेंडा होगा।

3- चीन के लिए दक्षिण पूर्व एशिया ज्‍यादा संवेदनशील इलाका है। इंडोनेशिया, फ‍िलीपींस, जापान और आस्‍ट्रेलिया के साथ चीन के संबंध काफी तल्‍ख हैं। आस्‍ट्रेलिया और अमेरिका की सामरिक दोस्‍ती से चीन की चिंता और बढ़ गई है। आकस और क्‍वाड संगठन ने चिनफ‍िंग की चिंता को और बढ़ाया है। इन दोनों संगठनों में आस्‍ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन और भारत शामिल है। ऐसे में चिनफ‍िंग का यह बयान यह दर्शाता है कि दक्षिण एशिया और दक्षिण चीन सागर उसके लिए कितना अहम है। चिनफ‍िंग ने अपने इस बयान से यह संकेत दिए हैं कि दक्षिण चीन सागर और दक्षिण पूर्व एशिया उनके लिए कितना उपयोगी है। इन देशों से चीन के संबंध चरम तनाव पर है।

4- राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग ऐसा करके वह एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं। ऐसा करके चिनफ‍िंग भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद पर एक नया दवाब बना सकते हैं। चिनफ‍िंग यह दिखाने का प्रयास करेंगे कि वह सीमा विवाद की समस्‍या को शांति के साथ समाधान करने के इच्‍छुक हैं। वह इसके लिए दादागीरी का सहारा नहीं लेना चाहते। यह चीन की बड़ी चाल है। दूसरे, वह दक्षिण एशियाई मुल्‍कों के साथ अमेरिकी रिश्‍तों के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। आकस और क्‍वाड के प्रभाव से चिंतित चीन का यह नया पैतरा है।
क्‍या कहा था चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग ने

1- चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के सदस्यों के साथ एक आनलाइन सम्मेलन के दौरान कहा कि उनका देश दक्षिण पूर्व एशिया पर प्रभुत्व हासिल नहीं करना चाहता। उन्‍होंने कहा कि न ही अपने छोटे पड़ोसियों के साथ दबंगई करना चाहता है। बता दें कि यह सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।

2- चिनफिंग के हवाले से देश की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा क‍ि चीन प्रभुत्ववाद व सत्ता की राजनीति का दृढ़ता से विरोध करता है। हम अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और क्षेत्र में स्थायी शांति बनाए रखना चाहते हैं। चिनफ‍िंग की यह टिप्पणी चीनी तट रक्षक पोतों द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर तट पर सैनिकों को आपूर्ति करने वाली दो फिलीपीनी नौकाओं को रोकने और उन पर पानी की तेज बौछार करने के कुछ दिनों बाद की है। बता दें कि दक्षिण चीन सागर पर आसियान सदस्य मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस भी दावा करते हैं।

3- दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है। दक्षिण पूर्व एशिया में कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं। समुद्री दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों में ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें पब्लिक न्यूज़ टी वी के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @PublicNewsTV और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @PublicNewsTV पर क्लिक करें।